लखनऊ: कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. ऐसे में कोरोना की वजह से बाज़ार में हैंड सैनिटाइज़र की किल्लत को देखते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग ने अपनी लैब में ही हैंड सैनिटाइज़र बनाया है. पूरे लखनऊ विश्वविद्यालय में अब बाज़ार के हैंड सैनिटाइज़र की जगह अपनी लैब का बना सैनिटाइज़र इस्तेमाल किया जा रहा है. 100 एमएल की बोतल में स्प्रे वाला सैनिटाइज़र 99 फ़ीसदी तक कीटाणुओं को ख़त्म करने में तो सक्षम है ही, साथ ही खुशबूदार भी है. ऐसे में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति से लेकर सबसे नीचे का कर्मचारी भी अब बाज़ार के सैनिटाइज़र पर निर्भर नहीं है. सबके पास अब लुकेम या लखनऊ यूनिवर्सिटी केमिस्ट्री (एलयूसीईएम) नाम का सैनिटाइज़र है.


अल्कोहल, गुलाब जल और कलर से बना है सैनिटाइज़र
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने सैनिटाइज़र के बारे में बताया कि विश्वविद्यालय में बाहर से सैनिटाइज़र मंगाने की बात आई तो, उन्होंने अपने रसायन शास्त्र विभाग से प्रयोग करने को कहा. रसायन शास्त्र विभाग ने अल्कोहल, गुलाब जल, डिस्टिल्ड वाटर और कलर के मिश्रण से सैनिटाइज़र बना दिया. हालांकि नियमतः यूनिवर्सिटी इसका व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं कर सकती, इसलिए फ़िलहाल पूरी यूनिवर्सिटी में स्टाफ़ को यही सैनिटाइज़र बांटे जा रहे हैं, ताक़ि हर कोई कोरोना से अपना बचाव कर सके.



इस सैनिटाइज़र का नाम लुकेम रखा गया है. लुकेम मतलब लखनऊ यूनिवर्सिटी केमेस्ट्री विभाग. अपने अस्तित्व के सौ साल पूरे कर रही लखनऊ यूनिवर्सिटी ने बोतल पर स्टिकर लगाया है, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय का लोगो भी छापा है. इस सैनिटाइज़र को विश्वविद्यालय ने कुलाधिपति यानी यूपी की राज्यपाल को भी दिया है और अब मुख्यमंत्री से लेकर अलग अलग विभागों तक देने की तैयारी कर रहा है, ताक़ि अपनी इस समय की मांग के मुताबिक़ किये गए काम को सरकार तक पहुंचा सकें.


रसायन शास्त्र विभाग का दावा, 99 फ़ीसदी कीटाणु ख़त्म करेगा सैनिटाइज़र
रसायन शास्त्र विभाग के 5 प्रोफेसर और कुछ शोधार्थी लैब में मिलकर सैनिटाइज़र बना रहे हैं. रसायन शास्त्र विभाग के प्रमुख प्रो नवीन खरे ने बताया कि अल्कोहलयुक्त सैनिटाइज़र की टेस्टिंग में पाया गया कि ये 99 फ़ीसदी कीटाणुओं को ख़त्म करने में सक्षम है. उन्होंने बताया कि इसकी बोतल चूंकि स्प्रे वाली है, इसलिए बोतल की क़ीमत ज़्यादा आ रही है. बोतल की क़ीमत के साथ 100 मिलीग्राम सैनिटाइज़र की क़ीमत लगभग 25 से 30 रुपये पड़ रही है. हालांकि बाज़ार में इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता, लेकिन विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के लिए वो लगातार सैनिटाइज़र बनाने का काम कर रहे हैं.


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