SARS-Cov-2 RNA: भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus In India) को लेकर अलर्ट है. सरकार एक्शन में है और लोगों से भी अब मास्क लगाने और भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहने की अपील की जा रही है. इसी बीच कोरोना के नए वेरिएंट को पता लगाने के लिए सीवेज के पानी की जांच की जा रही है. इस पर एक बड़ा अपडेट भी सामने आया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) ने शनिवार को कहा कि दिल्ली और मुंबई के सीवेज के नमूनों में कोविड आरएनए (Covid RNA) की मौजूदगी पाई गई है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश में कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए "अलर्ट मोड" में काम कर रही है. उन्होंने ये भी कहा, "मैं लोगों से मास्क पहनने, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने और कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करने का आग्रह करता हूं."
सरकार का जीनोम सीक्वेसिंग पर फोकस
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने राज्यों को भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) नेटवर्क के माध्यम से वेरिएंट को ट्रैक करने के लिए पॉजिटिव केस के नमूनों को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए यह बहुत जरूरी है.
वेस्ट वाटर में SARS-COV-2 RNA को क्यों ट्रैक करें?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अनुपचारित वेस्ट वाटर या कीचड़ में SARS-CoV-2 के गैर-संक्रामक RNA अंशों का पता लगाने की रिसर्च इटली, अमेरिका, फ्रांस, नीदरलैंड और पाकिस्तान सहित कई स्थानों पर की गई है. रिसर्च के मुताबिक, SARS-CoV-2 (कोरोना वायरस) मुख्य रूप से रेस्पिरेटरी सीक्रिशन की बूंदों के माध्यम से फैलता है.
इस तरह की निगरानी से SARS-CoV-2 के गैर-मान्यता प्राप्त संचरण का पता लगाने और यह निर्धारित करने में सहायता मिल सकती है कि क्या Covid-19 वास्तव में एक क्षेत्र में निहित है. भारत में भी इस पर रिसर्च हो चुकी है.
भारत में भी हुई थी रिसर्च
साल 2020 में IIT-गांधीनगर के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में एक अध्ययन में पाया गया कि अहमदाबाद के सीवेज में वायरस की "जीन कॉपी" शहर में बीमारी की घटनाओं से मेल खाती है. शोधकर्ताओं ने कहा कि ट्रीटमेंट प्लांट बड़े क्षेत्रों में सीवेज को इकट्ठा करते हैं और आरएनए के लेवल को मजर कर इस बात का पता लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में कितने लोग इंफेक्ट हुए हैं.
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