COVID 19: चीन से आई रैपिड टेस्ट किट पर उठे सवाल, ICMR ने रोका इस्तेमाल, नए सिरे से होगा आकलन
COVID 19: चीन से आई रेपिड टेस्ट किट के खराब होने की शिकायत सबसे पहले राजस्थान से मिली, जिसके बाद यहां इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला लिया गया.
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में चीन से आई रैपिड टेस्ट किट ने भारत को धोखे का झटका दिया है. इसके मद्देनजर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने इन टेस्ट किट को नए सिरे से परखने तक सभी राज्यों से अगले दो दिनों के दौरान रैपिड टेस्ट न करने के सलाह दिए हैं. भारत ने हाल ही में चीन से करीब 9.5 लाख टेस्ट किट खरीदी थी जिसमें साढ़े 5 लाख रैपिड टेस्ट किट खरीदी गई थी.
रेपिड टेस्ट किट के खराब होने की शिकायत राजस्थान से मिली थी जिसने अपने यहां इनके इस्तेमाल पर रोक लगाने का फैसला लिया. इन शिकायतों का हवाला देते हुए आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रमन गंगाखेड़कर ने कहा कि एक राज्य से मिली शिकायत का बाद तीन और राज्यों से भी इसकी पड़ताल की गई. यह बात सामने आई है कि रैपिड किट और आरटी-पीसीआर के टेस्ट परिणामों में 6 से 71 फीसद तक का अंतर आ रहा है. यह ठीक नहीं है. लिहाज़ा हमने राज्यों को अगले दो दिनों तक इनका इस्तेमाल न करने के सलाह दी है.
इस बीच आईसीएमआर ने अपनी आठ प्रयोगशालाओं की फील्ड टीमों के जरिए इन टेस्ट किट के पुनः आकलन का फैसला लिया है. इसके बाद राज्यों ही राज्यों को स्पष्ट निर्देश जारी किया जाएगा. डॉ गंगाखेड़कर ने कहा कि यदि टेस्ट किट दोषपूर्ण निकलती हैं तो हम कंपनी से इन्हें वापस लेने को कहेंगे.
महत्वपूर्ण है कि चीन के गुवांगझो से भारत ने अपने दूतावास के जरिए वन्डफो कंपनी की ढ़ाई लाख रैपिड टेस्ट किट खरीदी थी जो 16 अप्रैल को भारत पहुंची. वहीं 19 अप्रैल को गुवांगझो से 3 लाख रैपिड टेस्ट किट एयर इंडिया के विशेष विमान से राजस्थान और तमिलनाडु पहुंची थी.
चीन से रैपिड टेस्ट किट के लिए हुए इस समझौते को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. क्योंकि जहां एक तरफ रैपिड टेस्ट किट भारत को निर्धारित तारीख के मुकाबले काफी देर से मिली. वहीं भारत के लिए तैयार किट को अमेरिका पहुंचने को लेकर भी चीनी कंपनी पर सवाल उठे. जाहिर है भारत ने इन टेस्ट किट की खरीद के लिए मोटी रकम का भुगतान किया है. सूत्रों के मुताबिक एक किट का मूल्य करीब 610 रुपये है.
क्या है रेपिड टेस्ट? यह एक आसान टेस्ट है जिसमें खून के नमूने के आधार पर कोरोना वायरस संक्रमण की जांच की जाती है. इस टेस्ट में वायरल संक्रमण के खिलाफ बनने वाली एन्टी बॉडी की मौजूदगी का आधार पर तय किया जाता है कि किसी व्यक्ति के शरीर में संक्रमण मौजूद है या उसे पूर्व में हुआ है क्या. हालांकि इस टेस्ट की एक सीमा यह है कि संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी बनने में समय लगता है और ऐसे में संभव है कि इस टेस्ट का नतीजा नेगेटिव आए.
लिहाज़ा इसके परीक्षणों को जांचने के लिए ही अधिक निश्चित नतीज़ों वाला आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाता है. इसमें व्यक्ति के गले और नाक से नमूने लेकर परीक्षण किया जाता है. रेपिड टेस्ट के नतीजे आने में जहां 15-20 मिनट का समय लगता है वहीं आरटी पीसीआर टेस्ट के परिणाम आने में कुछ घण्टों का समय लगता है.
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