नई दिल्ली: भारत में कोरोना टीकाकरण 16 जनवरी से शुरू हुआ और अब तक 39 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है, जिसमें से सिर्फ 7 करोड़ 78 लाख लोगों को ही कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगाई गई है. वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से अब तक 40 करोड़ 31 लाख वैक्सीन डोज दी गई है, लेकिन इसके बावजूद कई राज्यों में वैक्सीनेशन नहीं हो रहा है. ऐसे में सवाल ये कि क्या इस रफ्तार से दिसंबर तक देश के सभी लोगों का वैक्सीनेशन हो पाएगा. 


भारत में साल की शुरुआत में कोरोना के खिलाफ वैक्सीन मिली वो भी एक नहीं दो दो, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड. इन दोनों वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन मिलने के बाद 16 जनवरी से भारत में चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण शुरू हुआ. इसके बाद रूस और डॉ रेड्डी लैबोरेटरी की स्पुतनिक वी वैक्सीन को भारत में इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन मिली.


टीकाकरण शुरू हुए 6 महीने से ज्यादा वक्त बीत जाने के बावजूद अब तक 39,13,40,491 वैक्सीन की डोज ही लोगों को लगाई जा सकी है, जिसमें से 31,35,29,502 लोगों को पहली डोज दी गई है, जबकि 7,78,10,989 लोगों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है. छह महीने में सिर्फ 7.78% लोगों का ही वैक्सीनेशन हो पाया है. ऐसे में दिसंबर तक भारत में सभी लोगों का टीकाकरण कैसे होगा? इसको लेकर कई तरह के सवाल हैं. 


इस बीच कई राज्यों ने वैक्सीन की कमी और खत्म होने की बात कही है, जिसके चलते टीकाकरण नहीं हो रहा है, तो कुछ जगहों पर सिर्फ दूसरी डोज दी जा रही है. राज्यों के मुताबिक वैक्सीन न होने की वजह से ऐसा हो रहा है. लेकिन केंद्र सरकार की दलील है कि राज्यों को 15 दिन पहले ही बता दिया जाता है कि कितनी वैक्सीन उपलब्ध होंगी और कितनी मिलेंगी. इसलिए उसके हिसाब से टीकाकरण प्लान करना चाहिए राज्यों को.


नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल का कहना है, "वैक्सीन की सूचना राज्यों के साथ उपलब्धता, प्रोडक्शन और सप्लाई को उनके सामने चिन्हित किया जाता है. एक्सप्लेन करके प्लानिंग की जाती है. राज्यों को पता होता है कि कितनी वैक्सीन आने वाली है, कौन सी वैक्सीन आने वाली है, इसी के आधार पर प्लानिंग होनी चाहिए. ये 100 मीटर की रेस नहीं है. ये एक लंबी देर तक चलने वाली जर्नी है और जैसे जैसे वैक्सीन बनती है, बिना देरी करे वैक्सीन लोगों को लगे ये कोशिश होती है."


भारत में फिलहाल सिर्फ दो वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड ही सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल है. जिसमें हर महीने जिस वैक्सीन की सप्लाई की जा रही है, उसमें पहली और दूसरी डोज दोनों शामिल है. सरकार को उम्मीद है कि जल्द वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ेगा. 


वैक्सीन प्रोडक्शन की रफ्तार को लेकर डॉ वी के पॉल ने बताया, "वैक्सीन की प्रोडक्शन धीरे धीरे बढ़ रही है, ये एक नियोजित मामला है और उसी स्पीड के बढ़ते बढ़ते जो वैक्सीन की उपलब्धता हो रही है, हमें वैक्सीन के प्रोग्राम को इम्पलीमेंट करना है."


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 15 जुलाई तक केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 40,31,74,380 वैक्सीन की डोज दी है, जिसमें से 38,39,02,614 वैक्सीन डोज इस्तेमाल हो चुकी है, जिसमें मेडिकल वेस्टेज भी शामिल है. राज्यों के पास अभी 1,92,71,766 वैक्सीन डोज उपलब्ध हैं, वहीं 83,85,790 वैक्सीन डोज पाइपलाइन में हैं. 


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के मुताबिक हर महीने वैक्सीन सप्लाई में बढ़ोतरी हो रही है. मई के महीने में जहां करीब 8 करोड़ वैक्सीन डोज केंद्र ने राज्यों को दी थी वो जून में बढ़कर 11.46 करोड़ डोज हो गई और जुलाई में इसकी संख्या बढ़कर 13.50 करोड़ डोज हो गई है. हालांकि जुलाई के 13.50 करोड़ वैक्सीन डोज में पहली और दूसरी डोज दोनों है. 


हाल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया गया था कि 31 जुलाई तक 51.6 करोड़ टीके लगाए जा चुके होंगे. वहीं सरकार अगस्त से दिसंबर के बीच 135 करोड़ कोविड वैक्सीन की खरीद करेगी. इसमें 50 करोड़ कोविशील्ड, 40 करोड़ कोवैक्सीन, 30 करोड़ बायो ई, 10 करोड़ स्पुतनिक वी और 5 करोड़ ज़ाइडस कैडिला डीएनए वैक्सीन शामिल है. 


लेकिन इसमें से ज़ाइडस कैडिला को अब तक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन नहीं मिला है. वहीं जिस बायोलॉजिकल ई से सरकार ने एडवांस में 30 करोड़ डोज खरीदी है, उसका तीसरे चरण का ट्रायल खत्म नहीं हुआ है. स्पुतनिक वैक्सीन अभी तक इम्पोर्ट हो रही है और उतनी संख्या नहीं है. हालांकि जल्द इसका निर्माण भारत में होगा. इसी बीच मोडर्ना की वैक्सीन को इमरजेंसी यूज़ ऑथराइजेशन मिल चुकी है, लेकिन भारत में अब तक वैक्सीन आई नहीं है और कब तक आएगी ये साफ नहीं है. 


वहीं वैक्सीन बनने के बाद कि प्रक्रिया लंबी होती है. CDL लैब कसौली से बैच क्लियर होने के बाद ही वैक्सीन टीकाकरण के लिए उपलब्ध होती है. इसलिए प्रोडक्शन और उपलब्धता में अंतर होता है.


डॉ वी के पॉल ने कहा, "ये डायनामिक सिस्टम होता है, CDL की क्लीयरेंस मिलती है स्टेबिलिटी टेस्ट के बाद फिर उसके बाद बैच रिलीज़ होता है फिर उसके बाद राज्यों के साथ साझा किया जाता है और उसको ध्यान में रखते हुए ही राज्य प्लानिंग कर टीकाकरण करें."


ऐसे में दिसंबर तक भारत की पूरी वयस्क आबादी को कैसे टीकाकरण होगा इस पर सवाल है. फिलहाल सरकार को उम्मीद है कि अगस्त के बाद हालात ठीक होंगे और ये लक्ष्य पूरा हो पाएगा. 



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