विदेशी राजनयिकों का दल हैदराबाद में कल देखेगा देसी वैक्सीन क्षमता की बानगी
भारत हाल के दिनों में एक प्रमुख थोक वैक्सीन निर्माता के रूप में उभरा है. दुनिया के 60 प्रतिशत टीकों का उत्पादन भारत ही करता है. दूसरे शब्दों में कहें तो दुनिया में इस्तेमाल होने वाले टीकों की 3 में से एक खुराक का उत्पादन भारत में होता है.
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नई दिल्ली: भारत अपनी वैक्सीन निर्माण और उत्पादन क्षमता की एक बानगी दुनिया के सामने पेश करेगा. इस कड़ी में दुनिया के करीब 60 से अधिक देशों के राजदूत और वरिष्ठ राजनयिक 10 दिसम्बर को हैदराबाद में दो देसी कंपनियों को देखने जाएंगे. विदेश मंत्रालय की मेजबानी में जा रहा विदेशी राजनयिकों का दल भारत-बायोटेक और बायोलॉजिकल-ई जैसी कंपनियों का दौरा करेगा. दोनों ही कम्पनियां कोरोना महामारी के खिलाफ वैक्सीन निर्माण व उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. भारत बायोटेक ने जहां कोवैक्सीन नामक टीका विकसित किया है, वहीं बायोलॉजिकल-ई कम्पनी के साथ अमेरिका के ओहायो स्टेट इनोवेशन फंड ने नई वैक्सीन तकनीक में साझेदारी बनाई है.
सूत्रों के अनुसार सभी आमंत्रित राजनयिकों को बुधवार सुबह एयर इंडिया की एक विशेष उड़ान से हैदराबाद ले जाया जाएगा. भारत का वैक्सीन कैपिटल कहलाने वाले हैदराबाद में विदेशी राजदूतों का दल उस जीनोम वैली इलाके में जाएगा जहां भारत-बायोटेक और बायोलॉजिकल-ई समेत कई देसी कम्पनियां हैं.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इस दौरे के सहारे भारत की कोशिश जहां अपनी वैक्सीन उत्पादन क्षमताओं की बानगी दिखाने की होगी, वहीं देसी कोविड19 टीकों के लिए बाजार तलाशने का भी प्रयास होगा. इस दौरे की तैयारियों से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक उस तरह के दौरे के सहारे स्वाभाविक रूप से इस बात की कोशिश होगी कि अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य एशिया के मुल्कों में भारतीय टीकों के लिए सम्भावित खरीदारी भी मिल सके.
हालांकि राजनयिकों के इस खास दौरे में नज़रें इस बात पर भी होंगी कि इसमें चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी शामिल होते हैं या नहीं. विदेश मंत्रालय ने अभी तक राजदूतों के हैदराबाद यात्रा कार्यक्रम पर कोई विस्तृत बयान साझा नहीं किया है. लिहाजा फिलहाल संशय ही है कि दोनों पड़ोसी मुल्कों के प्रतिनिधि इस दल में शामिल होंगे या नहीं.
बीते कुछ दिनों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय वैक्सीन निर्माण क्षमताओं को काफी उल्लेख कर रहे हैं. राजनयिकों के इस दौरे से पहले बीते दिनों पीएम मोदी ने जहां हैदराबाद और पुणे जाकर वैक्सीन उत्पादन क्षमताओं पर खुद जानकारी ली. वहीं गत माह ब्रिक्स जैसे मंचों पर भी मोदी कह चुके हैं कि भारत की क्षमताओं का उदाहरण पूरी दुनिया ने कोविड-19 के दौरान देखा था, जब भारतीय फार्मा उद्योग की क्षमताओं के कारण ही 150 से अधिक देशों तक हम आवश्यक दवाईयां पहुंचा पाए थे. ऐसे में भारत की वैक्सीन उत्पादन और डिलिवरी क्षमताएं भी इसी तरह मानवता के काम आएंगी.
इससे पहले गत माह विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और भारत सरकार के अन्य विशेषज्ञ प्रतिनिधियों ने दुनिया के 190 देशों के राजनयिकों को भारतीय वैक्सीन उत्पादन क्षमताओं पर एक विस्तृत प्रेजेंटेशन भी दिया था. इसके बाद ही राजनयिकों को उत्पादन क्षमता की बानगी दिखाने का यह कार्यक्रम बनाया गया.
गौरतलब है कि भारत बायोटेक ने अपनी कोरोना वैक्सीन Covaxin को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर तैयार किया है. कम्पनी ने 7 नवम्बर को ही अपने कोविड-19 रोधी टीके के आपात उपयोग की मंजूरी हासिल करने के लिए केंद्रीय औषधि नियामक यानी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया में आवेदन किया है.
वहीं हैदराबाद में करीब 300 करोड़ रुपये की लागत से अत्याधुनिक वैक्सीन निर्माण फेसिलिटी स्थापित करने वाली बायोलॉजिकल-ई कंपनी के साथ हाल ही में अमेरिका के ओहायो स्टेट इनोवेशन फाउंडेशन ने कोविड-19 वैक्सीन का लाइसेंस दिया है.
भारत हाल के दिनों में एक प्रमुख थोक वैक्सीन निर्माता के रूप में उभरा है. दुनिया के 60 प्रतिशत टीकों का उत्पादन भारत ही करता है. दूसरे शब्दों में कहें तो दुनिया में इस्तेमाल होने वाले टीकों की 3 में से एक खुराक का उत्पादन भारत में होता है. इतना ही नहीं भारतीय फार्मा कम्पनियां संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों के लिए दवाओं और टीकों की बड़ी आपूर्तिकर्ता हैं. इसके अलावा भारत स्वदेशी रूप से टीकों की एक पूरी नई श्रृंखला बनाने या संशोधित करने में भी बीते कुछ सालों के दौरान काफी सफल रहा है.
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