नई दिल्ली: टीके के विकास के मुद्दे पर संसद की एक समिति की बुधवार को आयोजित बैठक में 'हाइवोल्टेज ड्रामा' हुआ. बैठक से बीजेपी के कई सांसदों ने यह कह कर ‘वॉकआउट’ किया कि टीका नीति पर चर्चा करने का यह उपयुक्त समय नहीं है . सूत्रों ने यह जानकारी दी .


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति के समक्ष सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन, आईसीएमआर के महानिदेशक वी के भार्गव और जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव रेणु स्वरूप सहित अन्य ने बैठक में शिरकत की.


इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद जयराम रमेश कर रहे थे और इसका एजेंडा कोविड-19 के लिये टीके का विकास और कोरोना वायरस एवं उसके प्रारूपों की आनुवांषिक श्रृंखला था .


सूत्रों ने बताया कि जब विपक्ष के कई सांसदों ने टीकों की दो खुराक के बीच अंतर सहित केंद्र की टीकाकरण नीति के बारे में सवाल पूछने की इच्छा व्यक्त की तब बीजेपी सांसदों ने इसका कड़ा विरोध किया और कुछ ने बैठक स्थगित करने की मांग की और वॉकआउट किया .


सूत्रों ने बताया कि बीजेपी सांसदों का मत था कि देश में टीकाकरण अभियान चल रहा है और यह इस मुद्दे को उठाने का सही समय नहीं है क्योंकि इससे टीकाकरण प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है .


उन्होंने बताया कि समिति के अध्यक्ष जयराम रमेश ने कहा कि बैठक एजेंडे के तहत ही होनी चाहिए . जब बीजेपी सदस्य बैठक को स्थगित करने की मांग पर अड़े रहे और इस पर मतदान कराना चाहते थे तब रमेश ने इसे सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि स्थायी समिति की बैठक आम सहमति के आधार पर होती है .


सूत्रों के अनुसार, रमेश का मानना था कि अगर अध्यक्ष के रूप में यह उनकी अंतिम बैठक भी होती तब भी मतदान नहीं होगा . विपक्षी सांसदों ने इस बात पर जोर दिया कि उनका भी सवाल करने का अधिकार है, क्योंकि सांसद के रूप में वे भी जनता के प्रति जवाबदेह हैं .


सूत्रों ने बताया कि यह घटनाक्रम करीब एक घंटे तक चला . इस बैठक में उपस्थित होने के लिये शीर्ष अधिकारी बुलाये गए थे . सूत्रों ने बताया कि बैठक में सभी सदस्यों ने महामारी के दौरान भूमिका के लिये वैज्ञानिक समुदाय की सराहना की .


बाद में रमेश ने एक ट्वीट में कहा कि बैठक में पीएम केयर्स का उल्लेख होने संबंधी सभी रिपोर्ट गलत है और 150 मिनट की बैठक में एक बार भी इसका जिक्र नहीं हुआ.


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