नई दिल्ली: भारत के पहले स्वदेशी mRNA वैक्सीन को पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने के लिए डीसीजीआई से मंजूरी मिली है. mRNA वैक्सीन HGCO19 को जेनोवा, पुणे द्वारा विकसित किया गया है और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के इंड-सीईपीआई मिशन से समर्थित है.
जेनोवा, HDT बायोटेक कॉर्पोरेशन, सिएटल, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलकर एक mRNA टीका विकसित करने के लिए एक साथ काम किया है. HGCO19 ने पहले से ही जानवरों में सुरक्षा, प्रतिरक्षा, तटस्थता एंटीबॉडी गतिविधि का प्रदर्शन किया है.
टीके में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए पारंपरिक मॉडल का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इसमें वायरस के सिंथेटिक आरएनए के जरिए शरीर में प्रोटीन उत्पन्न करने के लिए आण्विक विधि का इस्तेमाल किया जाता है.
जेनोवा ने सभी प्रारंभिक कार्य पूरा कर लिया है और जल्द ही पहले और दूसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया जाएगा क्योंकि DCGI से मंजूरी मिल गई है.
भारत में अब कई वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल चल रहे है. इसमें भारत बायोटेक, आक्सफोर्ड और AstraZeneca की वैक्सीन ट्रायल तीसरे चरण में है. रूस की वैक्सीन जिसका ट्रायल डॉ रेड्डी लैबोरेटरी कर रही है दूसरे और तीसरे चरण में है. वहीं Zydus कैडिला के दो चरण का ट्रायल पूरा हो चुका है. जेनोवा की वैक्सीन जो की mRNA प्लेटफार्म पर है उसका ट्रायल शुरू होने जा रहा है.
आपको बता दें कि दवा कंपनी फाइजर, भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जोकि ऑक्सफोर्ड और AstraZeneca की वैक्सीन का ट्रायल और निर्माण कर रही है ने डीसीजीआई के पास इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन की मांग की है.
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