नई दिल्ली: भारत में कोरोना की वैक्सीन की खोज में वैज्ञानिक और संस्थाएं दिन रात शोध कर रहे हैं. सरकार की पूरी कोशिश है कि जल्द से जल्द वैक्सीन बने. हर भारतीय के मन में ये जानने की जिज्ञासा है कि भारत ने वैक्सीन बनाने की ओर कितनी प्रगति की है. भारत बायोटेक, हैदराबाद और सीरम इंस्टीट्यूट, पुणे. भारत में ये दो बड़े संस्थान कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कर रहे हैं.
ICMR ने कई संस्थानों को फंड किया
सीएसआईआर के डीजी शेखर मांडे ने कहा है, ‘’सीएसआईआर ने मोनोकोनल एंटीबॉडी के लिए भारत बायोटेक, एनसीसीएस पुणे और आईआईटी इंदौर को फंड किया है.’’ उन्होंने बताया, ‘’एमडब्लू का ट्रायल पहले ही शुरू हो चुका है. पीजीआई चंडीगढ़, एम्स दिल्ली और एम्स भोपाल में ट्रायल शुरू हो चुके हैं.’’
भारत में किन दवाओं के ट्रायल हो रहे हैं?
- फेवीपेराविर का ट्रायल
- ACQH का ट्रायल
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भारत में इन दो दवाओं के ट्रायल हो रहे हैं. एक फेवीपेराविर और दूसरा फाइटो फार्मा की दवा ACQH का. ट्रायल के मामले में सबसे आगे माइक्रो बेक्टीरियम वैक्सीन चल रही है. इतना ही नहीं रेमेडेसिविर और हाइड्रोक्लोरिन को भी कोरोना के इलाज में कारगर बताया जा रहा है. इसलिए ये दो दवाएं भी रेस में बनी हुई हैं.
प्लाजमा थेरेपी कितनी कारगर है?
सीएसआईआर के डीजी शेखर मांडे ने प्लाजमा थेरेपी को लेकर बताया, ‘’सुनने में आय़ा है कि आईसीएमआर ने प्लाजमा थेरेपी के लिए भी कुछ लोगों को परमिशन दी है. तो हो सकता है कि प्लाजमा थेरेपी भारत में कहीं पर शुरू हो जाए.’’
2021 से पहले नहीं आएगी वैक्सीन- डॉक्टर एसपी ब्योत्रा
मगर वो कौनसी दवाई है जो मौजूदा वक्त में कोरोना मरीजों को जिंदगी दे रही है. ये बताया सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर एसपी ब्योत्रा ने. उन्होंने कहा, ‘’अभी ACQH और एजीथ्रोल दवाईयां काम कर रही हैं. लेकिन कोरोना वैक्सीन आने में अभी हमें 6 महीने का इंतजार करना पड़ सकता है. कोरोना की वैक्सीन साल 2021 से पहले नहीं आएगी.’’
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