लॉकडाउन पर SC में तरह-तरह की याचिका- किसी ने कहा सेना बुलाओ, किसी ने कहा फ्री करो इंटरनेट
कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई के बीच सुप्रीम कोर्ट ने लगातार यह कोशिश की है कि उसके आदेशों से इस लड़ाई में मदद मिले. न कि मामला और उलझे. सुप्रीम कोर्ट ने गैरजरूरी याचिकाओं पर सुनवाई से मना किया है. ऐसे में लॉकडाउन के पालन के लिए सेना बुलाने या इंटरनेट फ्री कर देने जैसी मांगों पर कोर्ट का रवैया क्या रहेगा, यह तो सुनवाई के बाद ही पता चल सकेगा.
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नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान सुप्रीम कोर्ट में तरह-तरह की याचिकाएं दाखिल हो रही हैं. एक याचिका में कहा गया है कि लोग लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. इसलिए मामला अब सेना के हवाले कर देने की जरूरत है. एक और याचिका में कहा गया है कि घर में बैठे परेशान हो रहे लोगों को सभी टीवी चैनल और इंटरनेट सेवा मुफ्त में मिलनी चाहिए.
लॉकडाउन का पालन कड़ाई से करवाने के लिए सेना को बुलाने की मांग
मुंबई के रहने वाले कमलाकर शेनॉय की याचिका में कहा गया है, “कोरोना की बीमारी देश में तेजी से फैल रही है. लेकिन लोग लॉकडाउन को लेकर गंभीर नहीं है. कई जगह पुलिस, डॉक्टर मेडिकल स्टाफ पर हमले तक हो रहे हैं. ऐसे में सेना ही लॉकडाउन का पालन कड़ाई से करवा सकती है.
गांव लौटने की उम्मीद में जमा हुए मजदूरों की जांच की मांग इसी याचिका में यह भी कहा गया है कि जिस तरह से मुंबई, सूरत समेत कई शहरों में हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांव लौटने की उम्मीद में जमा हुए, यह संदिग्ध लगता है. इन सभी मामलों की जांच होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट जांच सीबीआई या एनआईए को सौंप दें.
फोन कॉल या इंटरनेट फ्री करने की मांग एक और याचिका है वकील मनोहर प्रताप की. इनका कहना है कि लोग कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से घबराए हुए हैं. ऊपर से वह घरों में बंद हैं. इन बातों का मनोवैज्ञानिक दबाव बहुत ज्यादा है. इससे निपटने का उपाय है कि उन्हें अनलिमिटेड कॉलिंग और इंटरनेट की सुविधा दी जाए. मोबाइल कंपनियों से यह कहा जाए कि लोगों से फोन कॉल या इंटरनेट के इस्तेमाल के पैसे न लें.
डीटीएच कंपनियां फ्री में दे सेवाएं इस याचिका में यह मांग भी की गई है कि सुप्रीम कोर्ट डीटीएच कंपनियों से यह कहे कि वह अपनी सेवाएं मुफ्त कर दें. लोग जो भी चैनल देखना चाहते हैं, उन्हें देखने दिया जाए. किसी भी चीज के पैसे न लिए जाएं. याचिकाकर्ता यह भी चाहते हैं कि नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम वगैरह पर जिस वीडियो कंटेंट के पैसे लिए जाते हैं, उन्हें अभी फ्री कर दिया जाए. लोगों को तमाम वीडियो कंटेंट फ्री में देखने दिया जाए.
मकान मालिकों पर कार्रवाई की मांग
लॉकडाउन को लेकर और भी कई याचिकाएं दाखिल हुई हैं. एक याचिका कहती है कि घर-घर जाकर कोरोना का टेस्ट करवाया जाए. एक और याचिका कहती है कि उन मकान मालिकों पर कार्रवाई हो, जो किरायेदारों को किराया देने के लिए परेशान कर रहे हैं. याचिका में केंद्र सरकार के एक आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें यह कहा गया था कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान छात्रों, मजदूरों और तमाम ऐसे लोग जो किराया देने में सक्षम नहीं है, किराए के लिए परेशान नहीं किया जाएगा.
ऊपर लिखी याचिकाओं पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई है. लेकिन कुछ दिलचस्प याचिकाओं पर कोर्ट ने सुनवाई की है. इनमें से एक याचिका है लगातार पीआईएल दाखिल करने वाले वकील मनोहर लाल शर्मा की. शर्मा जी का यह कहना था कि पीएम केयर्स फंड एक घोटाला लगता है. इसे बगैर किसी कानूनी प्रावधान के शुरू किया गया है. पूरे मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट एसआईटी का गठन करे. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के खिलाफ भी केस रजिस्टर किया जाए. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई. कहा कि इस तरह की याचिका दाखिल करने के लिए जुर्माना भी लगा सकते हैं
हालांकि ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन के दौरान दाखिल हुई तमाम याचिकाए गंभीर किस्म की हैं. कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरी गंभीरता से सुनवाई की और जरूरी आदेश भी दिए. जैसे मजदूरों के पलायन को लेकर कोर्ट ने संज्ञान लिया और सरकार से जवाब मांगा. सरकार ने भी तेज कार्रवाई की और 2 दिन के बाद ही कोर्ट को जानकारी दी कि मजदूरों को अब रोक दिया गया है. उन्हें सरकारी इमारतों में ठहराया गया है. भोजन और मेडिकल सुविधाएं दी जा रही है.
खेत में किसानों को काम करने में आ रही दिक्कत पर भी कोर्ट ने इस आश्वासन के बाद ही सुनवाई को बंद किया कि अब किसानों को कोई असुविधा नहीं होने दी जाएगी. डॉक्टर, नर्सों को PPE किट मिल सके, इस पर भी कोर्ट ने गंभीरता से सुनवाई की. सरकार ने एक मामले की सुनवाई के दौरान के आश्वासन भी दिया कि नर्सों के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर बनाया जाएगा, जिसमें वह किसी भी तरह की परेशानी की शिकायत कर सकेंगी. 2 घंटे के भीतर उस पर कार्रवाई की जाएगी.
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