नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से बात हो रही है की वैक्सीन जल्द आनेवाली है. सरकार ने इसके लिए पूरा खाका भी तैयार कर लिया है. लेकिन वैक्सीन जब भी आएगी क्या बच्चों को मिलेगी? बच्चों कब मिलेगी? ऐसे कुछ सवाल है जो आपके मन में होंगे. इस पर आज केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई वैक्सीन एक्सपर्ट कमिटी के अध्यक्ष डॉ वी के पॉल ने साफ कहा की अभी बच्चों को वैक्सीन नहीं दी जाएगी.


सबसे पहले इन्हें दी जाएगी वैक्सीन


केंद्र सरकार ने वैक्सीन आने पर किसे और कैसे दी जाएगी इसका प्लान पहले ही साफ कर दिया है. इसमें पहले हैल्थ केयर वर्कर, फ्रंटलाइन वर्कर और 50साल से ज्यादा उम्र के लोग और ऐसे लोग जिनकी उम्र 50 साल से कम है लेकिन उन्हे गंभीर बीमारी है. इसमें कहीं भी बच्चों को देने का जिक्र नहीं है. इसलिए ये सवाल था की आखिर बच्चों को वैक्सीन कब मिलेगी. इसके जवाब में साफ कहा गया की ना तो अभी जरूरत है और ना ही अभी 18 साल से नीचे कोई ट्रायल हुए हैं.


अब तक हुआ जहां भी हुआ ट्राल, कहीं भी शामिल नहीं किए गए बच्चे
इस बारे में नीति आयोग के सदस्य और वैक्सीन एक्सपर्ट कमिटी के अध्यक्ष डॉ वी के पॉल ने कहा "अभी तक जो गाइडलाइंस बनी है इंटरनेशनली बनी है उसमें बच्चों को ये वैक्सीन देने की आवश्कता महसूस नहीं की गई है वैसे भी वैक्सीन जो है वो ज्यादातर 18 साल के ऊपर के बाद में ही टेस्टिंग हुई है. धीरे धीरे उनके नीचे ग्रुप को करेगी. अब तक उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर बच्चों के टीकाकरण पर विचार करने का कोई कारण नहीं है."


अभी तक ना सिर्फ भारत बल्कि उपलब्ध जानकारी के मुताबिक किसी भी देश में वैक्सीन ट्रायल में 18 साल से ऊपर के वॉलंटियर लिए गए हैं. अभी तक कहीं भी बच्चों खास कर छोटे या 16 साल से नीचे बच्चों पर ट्रायल नहीं हुए या उन्हें शामिल किया गया है.


जानकारों ने बताया- कि क्यों बच्चों को नहीं मिलेगी वैक्सीन
वहीं इस बारे में एबीपी न्यूज़ ने भारत के कुछ बड़े डॉक्टरों से बात की. जिसमें एम्स के पूर्व निदेशक डॉ एम सी मिश्रा, एम्स में कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ पुनीत मिश्रा, एम्स के ही कम्यूनिटी मेडिसिन के डॉ और एम्स में वैक्सीन के ट्रायल के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ संजय राय और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ संदीप नैयर शामिल थे. जानकारों का भी कहना है की अभी पहले चरण जब भी वैक्सीन आएगी ये बच्चों नहीं मिलेगी. इसके पीछे डॉक्टर दो वजह बता रहे हैं.


सबसे पहले बच्चों में इसका ट्रायल नहीं हुआ, ऐसे में रेगुलेटर जब अनुमति देंगे तो वो तय करेंगे की क्या बच्चों में ट्रायल होगा या नहीं या फिर अभी तक हुए ट्रायल के आधार पर ही उन्हें दी जाएगी. वहीं दूसरी वजह है क्योंकि ये बीमारी बच्चों में उतनी गंभीर नहीं जितनी घातक ये बुजुर्ग और अन्य बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए है. बच्चों पर इसका उतना गंभीर असर देखने को नहीं मिला है. वहीं बच्चों की इम्यूनिटी बेहतर होती है.


जानकारों की मानें तो अभी बच्चो को देने की जरूरत उतनी नहीं है जितनी की वयस्कों को है, खासकर जिन्हें कोई और बीमारी है. वहीं अगर बड़ों को मिल जाती है तो बच्चो में भी इसका ट्रांसमिशन नहीं होगा.


एम्स के डॉ संजय राय ने क्या कहा?
एम्स के डॉ संजय राय ने कहा कि अभी जो क्लीनिक ट्रायल हुए हैं वो 18 साल से ऊपर लोगों के ही हुए हैं. इसका साइंटिफिक पहलू ये है की बच्चो में अभी उतनी जरूरत नहीं है क्योंकि अगर हं एल्डरली और एडल्ट को प्रोटेक्ट कर लेते हैं तो बच्चों को इंफेक्शन होने के चांस कम होंगे.


एम्स के कम्यूनिटी मेडिसिन के डॉक्टर पुनीत मिश्रा नेक्या कहा?
एम्स के ही कम्यूनिटी मेडिसिन के डॉक्टर पुनीत मिश्रा ने कहा कि सरकार की लिस्ट में बच्चों जिक्र नहीं है. इसके पीछे वजह है की बच्चों में ये बीमारी उतनी गंभीर नहीं जितनी बुजुर्गो में है या फिर जिन्हें गंभीर बीमारी है. ऐसे में जो लिस्ट बनाई गई वो उस हिसाब से बनी जिन्हें ज्यादा खतरा है.


एम्स के ही कम्यूनिटी मेडिसिन के डॉक्टर डॉ पुनीत मिश्रा ने कहा कि अभी भारत सरकार ने बताया जो हमारी प्रायरिटी लिस्ट है वह कैसे होने वाली है. तो सबसे पहले वैक्सीन फ्रंटलाइन वर्कर्स और हेल्थ वर्कर्स को दी जाएगी और उसके बाद जो उम्र दराज लोग हैं उनको दिया जाएगा और उनको जिनको गंभीर बीमारी है जिनमें खतरा ज्यादा है. अभी बच्चों को देने का कोई प्रस्ताव नहीं है.


यह महामारी आए हुए 1 साल ही हुआ है और बहुत जल्दी इसमें सारा कार्य हुआ है और जो ट्रायल भी हुए हैं, वह अभी तक सिर्फ एडल्ट्स में हुए हैं कुछ ट्रायल बच्चों में चल रहे हैं. अमेरिका में और कुछ और करने वाले हैं. बच्चों के ट्रायल के रिजल्ट आएंगे उसके बाद उसको दिया जाएगा. वैसे भी बच्चों में इस बीमारी की गंभीरता कम है.


एम्स के पूर्व निदेशक डॉ एम सी मिश्रा ने क्या कहा?
वहीं एम्स के पूर्व निदेशक डॉ एम सी मिश्रा के मुताबिक बच्चों को ये वैक्सीन देने को दी जा सकती है लेकिन अभी नहीं दी जा रही है. बच्चो में बचपन में जो टीका करण होता है उससे भी प्रोटेक्शन होता है और ऐसा गंभीर केस बच्चों में नहीं देखा गया है जितना वयस्कों में होता है.


डॉ एम सी मिश्रा ने कहा कि कोविड का 10-11 महीने में जो रूप सामने आया है उसमें बच्चों में कोरोना देखने को नहीं मिला हा. 10 साल से नीचे यहां तक कि टीनएजर्स को भी नहीं हुआ है और जिनको हुआ है उनमें भी घातक साबित नहीं हुआ और बच्चे रिकवर कर गया. इसीलिए जितने भी ट्रायल अभी तक हुए हैं उसने बच्चों को शामिल नहीं किया गया.


पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ संदीप नैयर ने क्या कहा?
कुछ ऐसा ही कहना है पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ संदीप नैयर का उनके मुताबिक जितनी गंभीर ये बीमारी वयस्कों में है उतनी ये बच्चो में नहीं देखी गई है. इस बीमारी से सबसे ज्यादा असर उम्रदराज लोग और इम्यूनिटी कॉम्प्रोमाइज लोगों मे कर रही है. इसलिए अभी बच्चो को पहले चरण में देने की संभावना कम है.


डॉ संदीप नैयर ने कहा कि जो पहला फेस होगा उसमें बच्चे नहीं एनरोल किए जाएंगे, क्योंकि वैक्सीन का सेफ्टी लेवल मालूम नहीं है. दूसरा जो ट्रायल होगा उसमें बच्चो को लिया जाएगा. ये बीमारी कितनी भी गंदी हो इसमें एक अच्छी चीज़ देखने को मिली है की बच्चों को ज्यादा प्रभावित नहीं करती है और होता भी है तो माइनर सा होता है और बच्चे नॉर्मली इस बीमारी से निकाल जाते हैं. बच्चों की इम्यूनिटी बेहतर है.


इन जानकारों के मुताबिक बच्चों में इसका ट्रायल नहीं हुआ है और भी ट्रायल जारी है. फिलहाल ट्रायल बच्चों पर नहीं किया जा रहा है. जब कभी वैक्सीन किसी एज ग्रुप को दी जाती है तो उसका ट्रायल किया जाता है. ये देखा जाता है की आखिर ये वैक्सीन उस एज ग्रुप में सेफ है, क्या वो अपना काम कर रही है. ऐसे में बच्चों पर ट्रायल किया जा सकता है उसके बाद ही वैक्सीन दी जाएगी.


वहीं अगर ये फैसला होता है की बच्चों को भी वैक्सीन दी जाएगी तो उसका निर्णय रेगुलेटर करते हैं. ऐसे में रेगुलेटर तय करेंगे की जो ट्रायल 18 साल से ऊपर वाले लोगो कें हुए है क्या उसी डाटा को मान लिया जाएगा या फिर बच्चो में होगा ये वो तय करेंगे. लेकिन अभी ये सब कहना जल्दबाजी होगी.


कम्यूनिटी मेडिसिन एम्स डॉ संजय राय ने कहा कि अगर वैक्सीन को दिए जाने की शुरुआत होने वाली है लेकिन इसकी लांग टर्म प्रोटेक्शन और सेफ्टी के बारें में नहीं पता. यह सब पहलू रेगुलेटर अथॉरिटी के हैं, वह तय करेंगे कि क्या बच्चों में क्लिनिकल ट्रायल किया जाए या जो सेफ्टी डाटा क्लिनिकल ट्रायल मिल जाता है उसी पर उनको दिया जा सकता है.


भारत सरकार ने तय की कोरोना वैक्सीन देने की प्राथमिकता


आपको बता दें कि भारत सरकार ने कोरोना वैक्सीन आने पर देने के लिए प्राथमिकता तय कर ली है. इसमें सबसे पहले हंल्थ केयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग जिन्हें कोई और गंभीर बीमारी है. सरकार के मुताबिक ...


- करीब एक करोड़ हैल्थ वर्कर है जिसमे सरकारी और प्राइवेट दोनों शामिल हैं. हंल्थ केयर वर्कर यानी डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स जो स्वास्थ्य से सीधे जुड़े हुए हैं.


- इसके बाद फ्रंटलाइन वर्कर हैं जिनकी संख्या 2 करोड़ है. इसमें राज्य पुलिस, सेंट्रल पुलिस, आर्म्ड फोर्सेस, होम गार्ड, सैनिटेशन वर्कर, सिविल डिफेंस जैसी सेवा देने वाले लोग होंगे.


- वहीं 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग जिन्हें और बीमारी भी है. ऐसे लोगो की संख्या 27 करोड़ के पास है.


- इन सबको एक साथ या एक एक कर के भी वैक्सीन दी जा सकती है. कैसे दिया जाएगा ये वैक्सीन की उपलब्धता और नंबर पर निर्भर करेगा.


इसके अलवा वैक्सीन के सरकार ने ऑपरेशनल गाइडलाइन भी तैयार कर ली है. इसमें कैसे टीकाकरण किया जाएगा इसका पूरा खाका तैयार है. पहले चरण में 30 करोड़ लोगो को ये वैक्सीन कैसे मिले इसका प्लान तैयार कर लिया है.


केंद्र सरकार की प्राथमिकता लिस्ट में बच्चों का जिक्र नहीं है. ऐसे में साफ है फिलहाल बच्चों को वैक्सीन नहीं मिलेगी. वहीं फिलहाल स्कूल बंद है और बच्चों के संक्रमण के मामले कम हैं. ऐसे में सावधानी और सोशल डिस्टेंस ही सबसे बड़ी वैक्सीन है.


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