बेंगलुरू: कोरोना वायरस की महामारी के बीच लोगों की ज़िन्दगी पूरी तरह से बदल चुकी है. एक ऐसा काल जिसने हर किसी को घरों के अंदर बैठने पर मजबूर कर दिया है. लोग इस उम्मीद के साथ जी रहे हैं कि कहीं कोरोना काल में ऐसी मौत ना आए जहां अपनों का ही साथ छूट जाए. आखिरी अलविदा ऐसा ना हो कि आसपास कोई अपना ना रहें. हर दिन ना जाने कितनी ही ऐसी तस्वीरें देखने को मिलती हैं कि आज इतने शवों को जेसीबी के जरिए या कवर में घसीट कर एक साथ कई शवों को ढेर कर अंतिम संस्कार किया हो. कोरोना वायरस के इस काल में सम्मान के साथ अंतिम संस्कार तो दूर, दो गज जमीन भी नसीब नहीं हो रही.


कोविड मरीजों की लगातार बढ़ती मौतों के साथ अस्पतालों और परिजनों की परेशानी भी बढ़ गई हैं. अस्पतालों को शव कई दिन तक शवगृह में रखने पड़ रहे हैं. संबंधित वार्ड के स्वास्थ्य अधिकारी के हस्ताक्षर के बाद ही शव जलाने या दफनाने के निर्देश हैं. लेकिन यह प्रक्रिया लंबी है. कई मामलों में परिजन समय पर दस्तावेज प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं. जिसके कारण शव मिलने में देरी तो दूसरी ओर जब अधिकारी कोविड शव को दफनाने जाते हैं तो वहां विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ता है. कोरोना वायरस का यह डर ऐसा कि कई बार ऐसी मामले सामने आ रहे हैं जहां लोकल्स शव को नजदीकी कब्रिस्तान में दफनाने या अंतिम संस्कार की इजाज़त नहीं दे रहे.


बेंगलुरू इंसानियत की मिसाल पेश कर रहा है


हाल ही में बेंगलुरू के एमएस पाल्या सेमेट्री में एक डेड बॉडी लाई गई, ताकि उसका अंतिम संस्कार किया जा सके. लेकिन स्थानीय लोगों ने विरोध कर दिया. विरोध की वजह थी मृतक का कोरोना पॉजिटिव होना. जिसके बाद प्रशासन को वहां से लौटना पड़ा और मृत शरीर को कहीं दूर ले जाकर दफनाना पड़ा. साफ है कोरोना काल में इंसानियत शर्मसार होने कि तस्वीरें हर दिन देखने को मिल रही है. लेकिन इन सब के बीच बेंगलुरू इंसानियत की मिसाल पेश कर रहा है.


बेंगलुरू के मर्सी एंजेल, मर्सी मिशन और हेल्पिंग हैंड के वॉलंटियर्स कोविड पॉजिटिव शव का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. एक ओर जहां कोविड पॉजिटिव शवों का तिरस्कार किया जा रहा है वहीं ये वॉलंटियर्स हर दिन ये सुनिश्चित करते हैं कि कोविड पॉजिटिव विक्टिम्स की अंतिम विदाई पूरे सम्मान के साथ हो. हर दिन एम्बुलेंस के सहारे इन शवों को यहां लाया जाता है और पूरे सम्मानजनक तरीके से प्रार्थना या नमाज़ पढ़ने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाता है.