Coronavirus: पश्चिम बंगाल में आज कोरोना से गई 154 मरीज़ों की जान, संक्रमण के 18863 नए मामले आए सामने
पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के कुल केस 12 लाख 48 हज़ार 668 तक पहुंच गए हैं और संक्रमण से हुई मौत की संख्या 14,208 तक पहुंच गई है. अब तक राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित 11 लाख 2 हज़ार 772 मरीज़ ठीक भी हुए हैं.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में आज कोरोना संक्रमण के 18,863 नए मामले सामने आए हैं और इतने ही वक्त में राज्य में संक्रमण की चपेट में आए 154 मरीज़ों ने दम तोड़ दिया. पिछले 24 घंटों में बंगाल में कोरोना से 19,202 मरीज़ ठीक हुए हैं.
इन नए मामलों के बाद पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के कुल केस 12 लाख 48 हज़ार 668 तक पहुंच गए हैं और संक्रमण से हुई मौत की संख्या 14,208 तक पहुंच गई है. अब तक राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित 11 लाख 2 हज़ार 772 मरीज़ ठीक भी हुए हैं. फिलहाल राज्य में 1 लाख 31 हज़ार 688 एक्टिव केस हैं.
कल के मुकाबले आज केस घटे
बंगाल में शुक्रवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 19,847 नये मामले सामने आये थे, जबकि इतने ही वक्त में 159 और लोगों की मौत हुई थी. यानी शनिवार को बंगाल में कोरोना के मामलों में मामूली गिरावट देखी गई है.
बंगाल में ‘ब्लैक फंगस’ से मौत का पहला मामला
पश्चिम बंगाल में ‘ब्लैक फंगस’ से मौत का पहला मामला सामने आया है. कोलकाता के एक अस्पताल में 32 वर्षीय महिला की म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के कारण मौत हो गई. स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि कोलकाता के हरिदेवपुर की रहनेवाली शम्पा चक्रवर्ती को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद शंभूनाथ पंडित अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
उन्होंने बताया कि शुक्रवार सुबह महिला की ‘ब्लैक फंगस’ के कारण मौत हो गई. महिला मधुमेह से पीड़ित थी और इंसुलिन ले रही थी. वर्तमान में राज्य में पांच मरीज इस बीमारी का इलाज करा रहे हैं.
अधिकारी ने कहा, ‘‘ये सभी मरीज पड़ोसी राज्य बिहार और झारखंड से हैं. हम लगातार उनकी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं.’’ स्वास्थ्य विभाग ने ‘ब्लैक फंगस’ मामलों से निपटने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की है और एक परामर्श भी तैयार किया है.
परामर्श में आंखों या नाक में दर्द, बुखार, माथा दर्द, जुकाम, सांस लेने में दिक्कतें, उल्टी जैसे कुछ लक्षण बताए गए हैं. परामर्श में कहा गया है कि अनियंत्रित मधुमेह, स्टेरॉयड ले रहे मरीज, आईसीयू में लंबे वक्त रहने, पहले से कई रोगों से ग्रस्त होने की स्थिति में फंगल संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है. लोगों को मास्क पहनने, अन्य सावधानी बरतने की भी सलाह दी गयी है.
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