नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों के बीच दिल्ली के LNJP अस्पताल के 4 मरीज़ों पर प्लाज्मा का ट्रायल शुरू किया गया है. वहीं इसके नतीजे भी सही आ रहे हैं. लेकिन लोगों के मन में ये सवाल बार बार उठता है कि ये प्लाज्मा थैरेपी है क्या और इसके जरिए कैसे मरीजों को ठीक किया जा सकता है.


क्या होती है प्लाज्मा थैरेपी ?


प्लाज्मा थैरेपी में कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके व्यक्तियों के खून से प्लाज्मा निकालकर दूसरे कोरोना वायरस संक्रमित रोगी को चढ़ाया जाता है. दरअसल संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर में उस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है और 3 हफ्ते बाद उसे प्लाज्मा के रूप में किसी संक्रमित व्यक्ति को दिया जा सकता है ताकि उसके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगे.


प्लाज्मा संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति खून से अलग कर निकाला जाता है. एक बार में एक संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर से 400ml प्लाज्मा निकाला जा सकता है. इस 400ml प्लाज्मा को दो संक्रमित मरीजों को दिया जा सकता है.


इससे कैसे किया जाता है इलाज


स्वस्थ हो चुके मरीज के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है जो उस वायरस से लड़ने के लिए होती है. एंटीबॉडी ऐसे प्रोटीन होते हैं जो इस वायरस को डिस्ट्रॉय या खत्म कर सकते हैं. तो वो एंटीबॉडी अगर प्लाज्मा के जरिए किसी मरीज को चढ़ाएं तो वह एंटीबॉडी अभी जो मरीज है जो उसके शरीर में मौजूद वायरस को मार सकती है.


प्लाज्मा थैरेपी कोई नई थैरेपी नहीं है. डॉक्टरों का मानना है की ये एक प्रॉमिनेंट थेरपी है जिसका फायदा भी हुआ और कई वायरल संक्रमण में इसका इस्तेमाल भी हुआ है.


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