नई दिल्ली: रामायण में लक्ष्मण जी के लिए हनुमानजी द्वारा संजीवनी बूटी लाने का किस्सा बेहद ही प्रसिद्ध है. दिल्ली पुलिस के एक एसएचओ ने भी लॉकडाउन में फंसे न्यूरो पेशेंट के लिए कुछ ऐसा ही किया है. दरअसल मरीज की दवा खत्म हो चुकी थी. उनके परिजनों ने दवा काफी जगह तलाश की लेकिन कहीं नहीं मिली. उनकी भांजी ने जब मदद के लिए गुहार लगाई तो मधुविहार थाना के एसएचओ इंस्पेक्टर राजीव कुमार ने काफी प्रयास के बाद सीधे दवा निर्माता कंपनी से सम्पर्क किया और दवा लेकर मरीज के घर पहुंच गए.


क्या है मामला


देहरादून में एमबीबीएस फाइनल ईयर में पढ़ रही दीक्षा चंद्रा ने 22 अप्रैल की रात लगभग 11:30 बजे एक ट्वीट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए मदद की गुहार लगाई. दीक्षा ने लिखा कि उनके मामा आईपी एक्सटेंशन के न्यू सूर्या किरण अपार्टमेंट में रहते हैं. वह न्यूरो के पेशेंट हैं. उन्हें एक दवा का सेवन अनिवार्य है, जो खत्म हो गयी है. लॉक डाउन चल रहा है. उनके परिजन आस पास सब जगह दवा लेने गए लेकिन कहीं नहीं मिल रही. कृपया मदद करें. इस ट्वीट के बाद डीसीपी ईस्ट जसमीत सिंह में एसएचओ मधुविहार इंस्पेक्टर राजीव कुमार को इस बारे में अवगत कराया और दवा का इंतजाम करने के लिए कहा. दवा का नाम भी ट्वीट के माध्यम से बता दिया गया था.



कैसे मिली दवा
एसएचओ राजीव कुमार ने सबसे पहले अपने ही इलाके में स्थित मैक्स अस्पताल की फार्मेसी में इस दवा के बारे में पता किया, तो मालूम हुआ कि दवा वहां पर उपलब्ध नहीं है. इसके बाद उन्होंने आसपास के सभी छोटे-बड़े केमिस्ट पर दवा के लिए पता करवाया. जब वहां भी नहीं मिली तो यमुनापार के सभी बड़े केमिस्टों से संपर्क किया गया. इसके बाद दिल्ली के अन्य सभी बड़े केमिस्ट पर दवा की तलाश करवाई गई. जब कहीं से भी दवा नहीं मिली तो उन्होंने एक केमिस्ट से ही पूछा कि आखिरी दवा किस तरीके से उपलब्ध हो सकती है. तो उन्हें पता चला कि यह दवा केवल मैन्युफैक्चरर के पास से ही मिल सकती है. किसी तरीके से एक मैन्युफैक्चर का पता व फोन नंबर पुलिस को हासिल हुआ.


एसएचओ ने दवा निर्माता से खुद संपर्क कर सारी स्थिति के बारे में उन्हें बताया और उनसे गुजारिश की कि वह दवा उपलब्ध करवा दी जाए. मैन्यूफैक्चर ने दवा होने की बात कही, जिसके बाद पुलिसकर्मी को भेजकर 1 महीने की दवा लेकर वह पेशेंट के घर पर पहुंच गए. दवा मिलने के बाद मरीज व उनके घर में मौजूद बुजुर्ग महिला ने पुलिस का शुक्रिया अदा किया, साथ ही यह भी बताया कि मरीज इस बीमारी की वजह से ठीक से बोल नहीं पाते हैं. यह दवा बहुत जरूरी थी अगर नहीं मिलती तो मरीज के लिए बहुत बड़ी परेशानी हो जाती.



24 घण्टे से कम समय में मदद मिलने पर दीक्षा ने ट्वीटर से ही पुलिस को दिया धन्यवाद
जब दीक्षा को आज दोपहर यह मालूम चला कि दिल्ली पुलिस दवा लेकर उनके मामा के घर पहुंच गई है, तो दीक्षा ने ट्वीट के माध्यम से ही पुलिस को धन्यवाद भी दिया. दीक्षा ने लिखा कि उनके मामा को दवा की सख्त जरूरत थी. ऑनलाइन भी दवा तलाश की गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. फिर मेरे एक दोस्त ने कहा कि ट्विटर पर अपनी परेशानी लिख कर दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को टैग कर दूं. मैंने ट्विटर एकाउंट बनाया और फिर मदद की गुहार लगाई. 23 अप्रैल की सुबह पुलिस इंस्पेक्टर का फ़ोन मेरे मोबाइल पर आया और उन्होंने कहा कि दवा तलाश रहे हैं और दोपहर तक दवा मेरे मामा के पास पहुंचा दी गयी. दिल्ली पुलिस की शुक्रगुजार हूं.


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