(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
लॉकडाउन में जब ट्रेन नहीं चल रही तो कैसे ट्रेन के कोच का इस्तेमाल आइसोलेशन के लिए हो रहा है, जानिए
देशभर में जारी लॉकडाउन की वजह से ट्रेन नहीं चल रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कोरोना के इस जंग में ट्रेन के कोच का इस्तेमाल कैसे हो रहा है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के मद्देनजर इस वक्त देश में 21 दिन का लॉकडाउन है जिसकी अवधी 14 अप्रैल को पूरी हो रही है. अब ऐसे में सभी ट्रेने भी बंद है. ऐसे में आप भी सोच रहे होंगे कि बंद पड़े ट्रेनों का इस वक्त क्या इस्तेमाल हो रहा होगा. दरअसल ट्रेन को इस वक्त कोरोना के खिलाफ देश जो जंग लड़ रहा है उसमें इस्तेमाल करने की तैयारी हो रही है.
रेलवे ने अपनी यात्री गाड़ियों के 20 हज़ार कोच को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का बड़ा लक्ष्य तय किया है. इससे कुल 3.2 लाख आइसोलेशन बेड तैयार किए जाएंगे. रेलवे इस काम को चरणबद्ध तरीक़े से पूरा करेगा. इसके लिए पहले चरण में 80,000 बेड तैयार करने का लक्ष्य रेलवे ने तय किया है.
रेलवे ने अगले दो हफ़्ते में आइसोलेशन वार्ड के 80,000 बेड तैयार करने का लक्ष्य रखा है. रेलवे के सभी ज़ोन को आइसोलेशन वार्ड बनाने का काम दिया गया है. उत्तर रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार ने बताया कि अगले तीन से चार दिनों में उत्तर रेलवे 370 कोच को तैयार कर लेगा जिनमें कुल 3,700 बेड होंगे.
कोरोना से लड़ाई में जुटे हैं रेलवे के सभी 19 ज़ोन
कोरोना से ज़ंग में रेलवे लगातार अपना सहयोग कर रहा है. देश भर में रेलवे के सभी ज़ोन, डिवीजन और कारखाने कोरोना से लड़ी जाने वाली ज़ंग में जुटे हुए हैं. देश के विभिन्न हिस्सों में आवश्यक सामानों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर तीव्र गति से मालगाड़ियों को चला रहा है. इसके अलावा रेलवे ने सैनेटाइज़र, फेस मास्क और कवर रोल का निर्माण का निर्माण कर रहा है. उत्तर रेलवे ने मालगाड़ियों के परिचालन के अलावा अब तक 2000 लीटर हैंड सैनेटाइज़र, 4000 फेस मास्क, 200 कवर रोल बना लिया है. इसके अलावा 105 कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदला जा चुका है.