मुंबई: किसी शासक की कुशलता का पता तब चलता है जब उसका सामना किसी बड़े संकट से हो और वो उससे निपटने के लिये पुख्ता रणनीति बनाये. इसी संदर्भ में इन दिनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की तारीफ हो रही है. ठाकरे कोरोना से निपटने के लिये जो रूख अपना रहे हैं उसने उनके सियासी दुश्मनों को भी उनका मुरीद बना दिया है.

देशभर में कोरोना का कहर जारी है. रोजाना बड़ी तादाद में नये मामले सामने आ रहे हैं. महाराष्ट्र कोरोना प्रभावित राज्यों में सबसे आगे है. सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में है. ऐसे में सबकी नजर टिकी है ठाकरे सरकार पर कि वो किस तरह से इस महामारी का मुकाबला कर रही है.

उद्धव ठाकरे सरकार ने काफी पहले ही इस महामारी की गंभीरता पहचान ली थी. यही वजह थी कि जब 22 मार्च को पीएम मोदी ने जनता कर्फ्यू की अपील की और उसके बाद जब पूरे देश में लॉकडाऊन का ऐलान किया तो उसके पहले ही ठाकरे सरकार ने कड़े फैसले लेने शुरू कर दिये थे. ठाकरे सरकार ने पहले ही राज्य के कई इलाकों में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया था. स्कूल, कॉलेज, सिनेमाघर बंद कर दिये गये थे, लोकल ट्रेनों और बसों की संख्या सीमित कर दी थी. दुकानों और दफ्तरों को बंद कराने का ऐलान कर दिया था.

इस दौरान उद्धव ठाकरे मीडिया के मार्फत लगातार मीडिया को भी संबोधित कर रहे हैं. उनके हाव भाव और शब्दों के चयन से वे आश्वस्त करते नजर आते हैं कि सरकार कोरोना के खिलाफ जंग में अपनी पूरी ताकत झोंके हुए है. वे लगातार बदल रही स्थिति की जानकारी देते हैं और कडे फैसलों को लेकर लोगों से सहयोग की अपील करते हैं. उनके संबोधन में ऐसा नहीं लगता कि वे लोगों को डरा रहे हैं बल्कि ये संकेत मिलता है कि वे लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं.

हाल ही में जब निजामुद्दीन के तब्लीगी मरकज में शामिल लोगों से कोरोना वायरस फैलने की खबर आई तो एक समुदाय विशेष का निशाना बनाते हुए सोशल मीडिया पर कई लोग नफरतभरी पोस्ट करने लगे. उद्धव ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो लोग ऐसा कर रहे हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी. उद्धव का ये बयान उनकी पार्टी की कट्टर हिंदुत्ववादी छवि के बिल्कुल विपरीत है. उनके इस खुलेपन का स्वागत करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने ट्वीट किया – `Uddhav Thackeray has been a revealation’ यानी कि उद्धव ठाकरे का ये चेहरा एक आश्चर्य है.

उद्धव ठाकरे के सियासी प्रतिद्वंदवी राज ठाकरे ने भी उनकी तारीफ की. बीजेपी के कुछ नेताओं और आम आदमी पार्टी के नेता भी कोरोना से जंग के दौरान ठाकरे के व्यवहार की तारीफ कर रहे हैं.

कुछ लोग ये आशंका जता रहे थे कि चूंकि उद्धव ठाकरे को कभी कोई प्रशासकीय अनुभव नहीं रहा है इसलिये वे इस त्रासदी से निपटने में नाकाम होंगे, लेकिन उन्होने ऐसे आलोचकों को झुठलाया है. स्वास्थ्य विभाग, गृह विभाग और केंद्र सरकार के साथ तालमेंल ऱखते हुए वे कोरोना के खिलाफ जंग को आगे बढ़ाते नजर आ रहे हैं.

ये आशंका भी जताई जा रही थी कि क्योंकि महाराष्ट्र सरकार तीन विपरीत विचारधाराओं वाली पार्टियों को मिलाकर बनी है इसलिये तीनों पार्टियों के मंत्रियों के बीच सामंजस्य बनाने में दिक्क्त आयेगी. वैसा होता नजर नहीं आ रहा. एनसीपी के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे और गृहमंत्री अनिल देशमुख के साथ लगातार संपर्क में रहकर वे रणनीति बना रहे हैं.

पिछले साल नवंबर में जब उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब ये आशंका जताई जा रही थी कि तीन पार्टियों की सरकार आपसी झगड़ों के कारण ज्यादा दिन नहीं चल पायेगी, लेकिन कोरोना वायरस की महामारी के दौरान सरकार की एक अलग ही तस्वीर सामने आ रही है.

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