नई दिल्ली: कोरोना लगभग दुनिया के हर देश में फैल चुका है. कई देशों में इस वायरस की वजह से मौत हो चुकी है. इस बीमारी की दवाई या इलाज ढूंढने में कई देश जुटे हुए हैं. लेकिन अब तक किसी को सफलता नहीं मिली है. इसी बीच दावा किया जा रहा है कि टीबी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बीसीजी वैक्सीन इस बीमारी का हल हो सकता है. इस पर न्यूयॉर्क इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के द्वारा प्रकाशित रिसर्च में बायोमेडिकल साइंसेज रिसर्चर डॉ गोंजलो ओताजू के रिपोर्ट के मुताबिक जिन देशों में जन्म के समय बीसीजी के टीके लगे हैं वहां कोरोना का प्रभाव कम देखने को मिला है. वहीं जहां नहीं लगे जैसे इटली और अमेरिका जैसे देश है वहां इस वायरस ने काफी नुकसान पहुंचाया है.


अमेरिका और इटली में लगातार मामले ना सिर्फ बढ़ते जा रहे हैं बल्कि काफी लोगों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हो चुकी है. तो क्या वाकई टीबी के रोक लिए लगने वाले बीसीजी का टीका हो सकता है कोरोना का इलाज? क्या है भारत के डॉक्टरों की इस बारे में राय.....


एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कही ये बात
हमने सबसे पहले बात की दिल्ली के एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया से. एम्स के डायरेक्टर के मुताबिक दुनिया भर में लोग इस बीमारी का इलाज तलाश में जुटे हैं. लेकिन अभी कोई कुछ भी ठोस नहीं मिला है, इसको लेकर डिटेल स्टडी और रिसर्च नहीं है. डॉ गुलेरिया के मुताबिक, " हम सबको जन्म के समय बीसीजी का इंजेक्शन लगता है उसे कुछ हद तक वायरस के लिए इम्यूनिट आती है. जो स्टडी आई है उसका ये फाइंडिंग है जो कॉज एंड इफेक्ट या कैजुअल रिलेशनशिप है ये साफ नहीं है. हो सकता है ये कैजुअल रिलेशनशिप हो प्रोटेक्टिव प्वाइंट ऑफ व्यू से ना हो. इसके लिए स्टडी चाहिए, पहले डेफिनेट एविडेंस चाहिए कि हम फिर से सब लोगों बीसीजी वैक्सीन लगाएं और देखें की उसे प्रोटेक्शन होता है या नहीं. मेरा मानना है की अभी इतना एविडेंस नहीं की बीसीजी वैक्सीन से प्रोटेक्शन होता है. ये एक फैक्ट जो देखा गया है. ये वाकई में कारगर है उसके लिए और स्टडी चाहिए."


वहीं एम्स के पूर्व निदेशक रहे डॉ एम सी मिश्रा का कहना है "ये सब स्पेकुलेशन है कोई स्टडी नहीं है. साइंस में खास तौर पर ऐसी चीजों के लिए डिटेल रिसर्च की जरूरत है."


सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और मेडिसन के डॉ एस पी ब्योत्रा का क्या कहना है
वहीं इस बारे में ऐसी राय है दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और मेडिसन के डॉ एस पी ब्योत्रा की. वो भी मानते हैं कि जब इस पर डिटेल रिसर्च और स्टडी नहीं आती तब तक मानना मुश्किल है. उनके मुताबिक, "एशिया और अफ्रीका के देशों में तो बीसीजी का इंजेक्शन देते ही हैं और यहां पर इस वायरस का प्रकोप कम लोगों में मिला तो ऐसे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि बीसीजी के इंजेक्शन से प्रिवेंट हो सकता है. लेकिन एक साइंस के स्टूडेंट के नाते जब तक स्टडी ना करी जाए तबतक कुछ नहीं कहा जा सकता है. इसीलिए यह कहना कि बीसीजी का इंजेक्शन कोविड-19 में कारगर होगा, यह बहुत जल्दबाज़ी है."


फिलहाल दुनिया भर के डॉक्टर और साइंटिस्ट इस बीमारी की दवा खोजने में जुट गए हैं. अभी तक कोई सफलता इस बारे में नहीं मिली है. वहीं ऐसी रिसर्च सामने आ रही है लेकिन भारतीय डॉक्टरों का साफ कहना है की जब तक कोई डिटेल रिसर्च और स्टडी इस बारे में नहीं आती इस बारे में कोई भी बात या इलाज जल्दबाजी होगी. बीसीजी यानी बेसिलस कैलमेट गुएरिन. आपको बतादें कि बीसीजी का ये टीका टीबी ना हो इसलिए लगाया जाता है. जन्म के 6 महीने बाद ये टीका लगाया जाता है.


SC ने लॉकडाउन के दौरान ज़रूरतमंदों के लिए बंदोबस्त पर जताया संतोष , कहा- सरकार के काम में अभी कोई दखल नहीं देना चाहते


Coronavirus: क्या इंसानों से जानवरों में भी फैल सकता है कोरोना वायरस?