कोरोना वायरस संक्रमण की पहचान के लिए ओडिशा सरकार ने नई रणनीति अपनाई है. अब यहां डोर-टू-डोर लोगों की स्क्रीनिंग की जाएगी. इसके जरिए कोरोना पॉजिटिव मामलों का पता लगाकर इलाज करना आसान हो जाएगा.


ओड़िशा में आशा और ANM नर्स को कोरोना वायरस की पहचान के लिए डोर-टू-डोर हेल्थ स्क्रीनिंग का जिम्मा सौंपा गया है. उनका काम संक्रमण का लक्षण दिखने वालों और कोरोना वायरस संक्रमित के संपर्क में आए लोगों की टेस्टिंग कर पहचान करना होगा. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की डायरेक्टर शालिनी पंडित का कहना है, “भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् (ICMR) की गाइडलाइन्स के मुताबिक राज्य सरकार कोरोना वायरस के लक्षण वाले और संक्रमित मरीजों के संपर्क में आनेवाले लोगों की पहचान के लिए टेस्टिंग कर रही है.


संक्रमण की पहचान के लिए नई रणनीति 


ऐसे में आशा और ANM कार्यकर्ताओं को डोर-टू-डोर शहरी और देहाती क्षेत्रों में सर्वे करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. जिसके जरिए कोविड-19 के लक्षण वाले लोगों की पहचान कर त्वरित टेस्ट किया जा सके.” उन्होंने बताया कि डोर-टू-डोर सर्वे का अभियान 16 जून से 31 जुलाई तक चलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि पहले बिना लक्षण वाले 200 मरीजों में से एक कोरोना पॉजिटिव पाया जाता था जबकि अब लक्षण वाले 20 मरीजों में से एक का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव निकल रहा है.


डोर-टू-डोर सर्वे करने का फैसला


शालिनी का कहना है कि रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमण, लक्षण वाले मरीजों से फैलता है जबकि बिना लक्षण वाले मरीजों से संक्रमण फैलने की आशंका नहीं के बराबर होती है. यहां तक कि बिना लक्षण वाले मरीज अगर कोरोना पॉजिटिव पाए जाते हैं तब भी संक्रमण नहीं फैलता.  उन्होंने बताया कि नई रणनीति अपनाकर ज्यादा पॉजिटिव मामलों का पता लगाना आसान हो जाएगा. उसके बाद उनके इलाज करने में दुश्वारी नहीं पेश आएगी. उन्होंने आगे बताया, “राज्य सरकार कोविड-19 टेस्टिंग पर ज्यादा जोर दे रही है. अभी 10 जिलों के 17 लैब में कोरोना टेस्टिंग का काम चल रहा है.” उनहोंने दावा किया कि 15 जून तक राज्य भर में 2 लाख से ज्यादा लोगों का टेस्ट किया जा चुका है.


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