हरियाणा: हम सभी ने कभी न कभी भगवत गीता बाजार से जरूर खरीदी होगी और घर में रखी होगी. ज़रा याद कीजिए कि आपने ये कालजयी ग्रंथ कितनी कीमत में ली थी? ख़ैर , आपने जितने में भी ली हो , अगर हम ये कहें कि एक भगवत गीता की कीमत 38000 रुपये है तो आप चौंक सकते हैं लेकिन ये सच है . एक आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ है हरियाणा सरकार ने पिछले साल हुए अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान एक भगवत गीता पर 38000 रुपया खर्च किया है.


आरटीआई से हुआ खुलासा


हरियाणा के आरटीआई कार्यकर्ता राहुल सहरावत ने जब गीता महोत्सव के ख़र्चे को लेकर जवाब मांगा तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की तरफ से दिए गए जवाब में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान हुए तमाम ख़र्च का ब्यौरा दिया गया है.


इसमे बताया गया है कि भगवत गीता की दस प्रतियों के लिए सरकार की तरफ से 3,79,500 रूपये ख़र्च किए गए. यानि कि भगवत गीता की एक प्रति का दाम 37,950 रूपये यानि क़रीब 38,000 रूपये है.


आरटीआई के तहत दी गई जानकारी के मुताबिक तन्वी स्टेशनर्स नाम के एक दुकान से इन 10 प्रतियों की खरीद की गई है.


दिलचस्प बात ये है कि ऑनलाइन शॉपिंग साइट अमेज़ॉन डॉट कॉम पर भगवत गीता की प्रतियां 170 रुपये से लेकर 850 रुपये ( डिलक्स एडिशन ) में उपलब्ध है . ऐसे में ये बात किसी के गले नहीं उतरेगी कि आखिर हरियाणा सरकार ने भगवत गीता के लिए इतनी महंगी कीमत क्यों अदा की?


फिजूलखर्ची पर सवाल


ज़ाहिर है हरियाणा सरकार के इस फैसले पर अब सवाल भी उठने लगे हैं.


इंडियन नेशनल लोक दल(आईएनएलडी) के हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला ने ट्विटर पर लिखा है, " 10 भगवत गीता 3,79,500 रुपये में @mlkhattar सरकार द्वारा खरीदी गई .. वाह @narendramodi जी हरियाणा में कितनी ईमानदार सरकार है.. गीता के नाम पर भी चोरी, ऊपर से सीनाजोरी.. #Scam "


 


आरटीआई के तहत आवेदन दाखिल करने वाले कार्यकर्ता राहुल सहरावत ने एबीपी न्यूज़ से कहा - " ये फिजूलखर्ची है. आखिर किस बात पर सरकार इतना खर्च करती है और इसकी उपादेयता कितनी है ".


भगवत गीता का महत्व


भारत और भारतीयों के जीवन में ' भगवद गीता ' का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. कुरुक्षेत्र में महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए संदेश के संकलन के रूप में ये ग्रंथ घर घर में पढ़ी जाती है. धर्म से ज्यादा जीवन के प्रति अपने दार्शनिक दृष्टिकोण को लेकर ये ग्रंथ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती आई है. निष्काम कर्म का गीता का संदेश प्रबंधन गुरुओं को भी लुभाता रहा है. विश्व के सभी धर्मों की सबसे प्रसिद्ध ग्रंथों में ये शामिल है.


कब हुआ अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ?


सालाना होने वाले अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन पिछले साल 25 नवम्बर से 3 दिसम्बर के बीच हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हुआ था. इसका उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था. महोत्सव में 35 से ज़्यादा देशों के 20 लाख से ज़्यादा लोगों ने भाग लिया था . महोत्सव में मॉरीशस ने सहयोगी देश जबकि उत्तर प्रदेश ने सहयोगी राज्य के तौर पर भाग लिया था. पहले इसे गीता जयंती के नाम से मनाया जाता था लेकिन राज्य में बीजेपी सरकार आने के बाद इसे अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव नाम दे दिया गया है. गीता जयंती महोत्सव 2006 में तत्कालीन हुड्डा सरकार ने शुरू किया था .