केंद्र सरकार अब तक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को स्पलाई किए गए दो स्वदेशी रूप से विकसित कोविड टीकों की 2.2 करोड़ खुराक के लिए 961 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. बता दें कि प्रति वैक्सीन की लागत 446.70 रुपये है. इसके अलावा, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने सामूहिक रूप से वैक्सीनों के संचालन की परिचालन लागत को पूरा करने के लिए 123 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं.


अगले चरण में टीकाकरण पर 1500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे


इस उद्देश्य के लिए 357 करोड़ रुपये का अन्य चरण में वितरण किया जाएगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र, संचालन लागत सहित, तीन करोड़ हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगाने के लिए लगभग 1500 करोड़ रुपये खर्च करेगा, जो टीकाकरण के अगले चरण में आवश्यक धन के परिमाण का संकेत देता है. उम्मीद है कि इससे देश भर में 27 करोड़ और लोगों को कवर किया जाएगा.


सभी राज्यों में प्रति खुराक की लागत एक समान नहीं


सभी राज्यों में प्रति खुराक लागत एक समान नहीं रखी गई है. उदाहरण के लिए, दिल्ली और कर्नाटक की खुराक की कीमत में अंतर है. गौरतलब है कि वैक्सीन की आपूर्ति की संख्या का राज्यवार विवरण और लागत अलग-अलग तारीखों पर लोकसभा में स्वास्थ्य मंत्रालय शेयर की गई थी लेकिन लागत अंतर को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था. राज्यों को दी जाने वाली वैक्सीन की 2.1 करोड़ खुराक में से लगभग 1.9 करोड़ ऑक्सफोर्ड / एस्ट्राजेनेका कोविशील्ड हैं और बाकी 25.7 लाख खुराक कोवैक्सीन हैं.


यूपी को मिली सबसे ज्यादा कोविड वैक्सीन की डोज


गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य कोविड 19 वैक्सीन की सबसे ज्यादा खुराक प्राप्त करने वाला राज्य है. वहीं  महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाड़ु और राजस्थान भी उन राज्यों में शामिल हैं जिन्हें वैक्सीन की सबसे ज्यादा खुराक मिली हैं. बता दें कि इन पांच राज्यों में भारत के हेल्थ वर्कर्स का प्रतिशत भी सबसे ज्यादा है. ऐसे में ये स्वभाविक है कि इन राज्यों को केंद्र से सबसे ज्यादा फंड भी मिला है.


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