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Corona Vaccination: दिल्ली में वैक्सीनेशन के लिए काउंसिलिंग, जानिए क्या हैं हेल्थकेयर वर्कर्स की शंकाएं

दिल्ली में शुरुआती 3 दिन के वैक्सीनशन के आकंडों की बात करें तो 3 दिन में कुल 12,853 लोगों ने कोरोना का टीका लगवाया जबकि 3 दिन में कुल 26,378 लोगों को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य रखा गया था.

नई दिल्ली: कोरोना वैक्सीनेशन के कम आंकड़ों, भ्रम, डर और अफवाहों को दूर करने के लिए दिल्ली में हेल्थकेयर वर्कर्स के बीच काउंसिलिंग अभियान शुरू किया गया है. इसमें हेल्थकेयर वर्कर्स को वैक्सीनेशन से जुड़े सवालों के जवाब दिए जा रहे हैं. दिल्ली सहित पूरे देश मे कोरोना वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या पहले दिन की तुलना में कम होती जा रही हैं. ऐसे में दिल्ली सरकार की ओर से अब हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए एक काउंसिलिंग अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत स्वास्थ्यकर्मियों से बात कर उनकी शंका या हिचकिचाहट का समाधान करने की कोशिश की जा रही है. दिल्ली सरकार के दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में ऐसा ही पहला काउंसिलिंग सेशन रखा गया है.

दिल्ली में शुरुआती 3 दिन के वैक्सीनशन के आकंडों की बात करें तो 3 दिन में कुल 12,853 लोगों ने कोरोना का टीका लगवाया जबकि 3 दिन में कुल 26,378 लोगों को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य रखा गया था. दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में जहां काउंसिलिंग सेशन रखा गया, वहां कुल 700 रजिस्टर्ड हेल्थकेयर वर्कर हैं. प्रतिदिन टीका लगवाने वालों का लक्ष्य 100 है और 3 दिन में टीका महज 86 लोगों ने लगवाया.

वहीं काउंसिलिंग सेशन में हेल्थकेयर वर्कर्स को समझाया गया कि वैक्सीनेशन से जुड़ी अफवाहों पर ध्यान न दें. किसी भी तरह का रिएक्शन हो, वो वैक्सीनेशन से जुड़ा हो या नहीं उसे जरूर रिपोर्ट करें. वैक्सीन को साइंटिफिक पैरामीटर के आधार पर तैयार किया गया है, जिसे कभी तेज गति से नहीं किया गया, इसलिए प्रमाणिकता को लेकर चिंता की जरूरत नहीं है. पहले चरण में हेल्थकेयर वर्कर्स को प्राथमिकता दी गई है लेकिन इसके बाद अगले चरणों में जब बाकी लोग भी वैक्सीन लेने के लिए कतार में होंगे, तब वैक्सीन लगवा पाना मुश्किल होगा. एप में रजिस्टर्ड लोग अब सीधे वॉक-इन करके वैक्सीन लगा सकेंगे, उन्हें अपनी बारी की प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं है.

वैक्सीन पर हेल्थकेयर वर्कर्स की शंकाएं

काउंसिलिंग सेशन में हिस्सा लेने वाले स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि उनके मन में किस तरह के सवाल और डर हैं. साथ ही काउंसिलिंग सेशन से उन्हें क्या मदद मिली है. काउंसिलिंग सेशन के बाद हेल्थकेयर वर्कर्स में वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में उत्साह दिखा. दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में नर्सिंग असिस्टेंट मुक्ति ने बताया कि वैक्सीन को लेकर पहले लोगों में डर था कि लगवाना चाहिए या नहीं लेकिन यह धारणा मन में गलत है. जब तक हम वैक्सीन लगवाएंगे नहीं तो फिर उसका परिणाम कैसे मिलेगा. हमारे अस्पताल में कई लोगों को वैक्सीन लग चुकी है और किसी को कोई भी दिक्कत नहीं हुई है तो इससे और मोटिवेशन मिला है. इस काउंसिलिंग सेशन से भी हमें और प्रोत्साहन मिला है. वैक्सीनेशन हम लोगों की सेफ्टी के लिए ही है.

अस्पताल में टेक्नोलॉजिस्ट के पद पर काम करने वाले विनय प्रकाश ने सेशन में कंसेंट फॉर्म को लेकर सवाल पूछा था. ABP न्यूज़ से बात करते हुए विनय प्रकाश ने कहा कि मैं टेक्नोलॉजिस्ट हूं और पीसीआर में काम कर रहा हूं. इसलिए मुझे डर नहीं है. महामारी के समय में भी हमने देश के लिए काम किया है और वैक्सीन के प्रति भी डर नहीं है लेकिन वैक्सीनेशन प्रोग्राम को सफलता मिले इसके लिए सरकार को भी आगे आने की जरूरत है. कहा जा रहा है कि वैक्सीन 100% सेफ है लेकिन सिर्फ मौखिक गारंटी सेफ्टी के लिए दी जा रही है, लिखित गारंटी नहीं मिल रही है.

उन्होंने कहा कि हमने सुना है कि वैक्सीन लगवाने के लिए कंसेंट फॉर्म भरना है. इसका मतलब यह है कि वैक्सीन लगाने पर जो भी नुकसान होंगे, वह वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति को ही भुगतने पड़ेंगे. अगर उसको नुकसान हुआ तो वह अकेला पड़ जाएगा. जबकि नेशनवाइड ड्राइव है तो सरकार को यह चाहिए कि वह उस व्यक्ति को गारंटी दे कि उसे अगर कुछ हो जाए तो उसको सरकार कैसे डील करेगी. शायद हो सकता है कि लोग इसके कारण पीछे भाग रहे हों. ऐसे काउंसिलिंग सेशन हेल्प करेंगे लेकिन यह पहले होता तो और भी ज्यादा बेहतर होता.

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कई थी अफवाहें

काउंसिलिंग सेशन में सवाल पूछने वाली हेल्थकेयर वर्कर मोना ने कहा कि जब वैक्सीन आई थी तो काफी लोगों ने अफवाहें उड़ाई थी कि वैक्सीन लगाते ही फीवर हो गया या कोई एडमिट हो गया. यह सब सुनकर कोई भी आम इंसान हो तो उसको डर तो लगेगा ही कि उसकी बॉडी में किसी तरह का इंफेक्शन हो जाएगा. यही सारे संदेह मेरे मन में थे. जिसको इस सेशन में काफी हद तक क्लियर किया गया. अब कम से कम दिमाग में यह स्पष्ट है कि यह सब अफवाहें थी. इस तरह के सेशन से लोगों की सोच बेहतर होगी ताकि वह इन अफवाहों से आगे बढ़े और प्रोत्साहित हो सकें.

अस्पताल में परचेज डिपार्टमेंट में काम करने वाली प्रीति वर्मा ने बताया कि महिला होने के चलते उनके मन मे किस तरह के सवाल थे. प्रीति ने कहा कि वैक्सीन को लेकर मुझे काफी संदेह है क्योंकि मैंने यह खबरें देखी थी कि किसी ने वैक्सीन लगवाई और उसको फीवर हो गया. कुछ डेथ केस के मामले भी सुनाई दे रहे थे. इस चीज को लेकर डर था कि बतौर हेल्थ केयर वर्कर और बतौर एक महिला यह वैक्सीन हमें लगवानी चाहिए या नहीं. कहीं भविष्य में कोई दिक्कत न हो, फैमिली प्लानिंग में कोई इशू न हो या कोई साइड इफेक्ट न हो... इन तरह की चीजों को लेकर संदेह था. लेकिन इस सेशन से कई सवालों के जवाब मिले हैं, मेरा नंबर आने में समय है, जब आएगा तो वैक्सीन लगवाऊंगी. उससे पहले कोई और काउंसिलिंग सेशन होगा तो बाकी संदेह को भी दूर करने में मदद मिलेगी.

हेल्थकेयर वर्कर रंजना तिवारी ने कहा कि उम्मीद है कि इस सेशन के बाद वैक्सीनेशन के लिए आने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी. मेरे भी कुछ सवाल थे जैसे कि प्रेग्नेंट लेडीज के लिए यह जानना बहुत जरूरी है की यह वैक्सीन उन्हें लगानी चाहिए या नहीं क्योंकि आने वाले समय में अगर मैं कंसीव करती हूं तो कहीं यह मेरे लिए प्रॉब्लम तो नहीं बनेगी. डर बहुत ज्यादा नहीं था लेकिन आज के सेशन के बाद जो थोड़ा बहुत संदेह था वह भी क्लियर हुआ है.

सेफ्टी एनालिसिस रिपोर्ट अहम

अस्पताल के असिस्टेंट परचेज ऑफिसर विपिन कुमार ने कहा कि पहले मन में जो सदेंह वैक्सीन को लेकर थे वह इसलिए थे क्योंकि अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन मार्केट में आई है जैसे फाइजर, कोवैक्सीन, कोविशील्ड. उनमें से कुछ को लेकर ऐसी खबरें भी आई थी कि कुछ लोगों की मौत हो गई. हालांकि अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि वह मौत वैक्सीन की वजह से ही हुई या नहीं. एक हेल्थकेयर वर्कर के तौर पर सेफ्टी एनालिसिस रिपोर्ट हमारे लिए मायने रखती है. अगर हम कोई चीज अपने शरीर में इंजेक्ट करा रहे हैं तो हमें सेफ्टी के बारे में पता होना चाहिए. ज्यादातर लोग यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि वैक्सीन सही है या नहीं है. आज के सेशन के बाद मुझे लगता है कि काफी लोग अब इस बात को मान रहे होंगे कि वैक्सीन सेफ है, हमें लगता है कि नंबर बढ़ेगा.

काउंसिलिंग सेशन की अध्यक्षता कर रहे डॉ. बी एल शेरवाल ने कहा कि इस सेशन में यह कोशिश की गई कि यहां के हेल्थकेयर वर्कर में अगर वैक्सीनेशन को लेकर कोई भ्रांति है तो उसको दूर किया जाए. आज बहुत अच्छा सेशन रहा और काफी संख्या में हेल्थकेयर वर्कर यहां पर मौजूद थे. सेशन के दौरान कंसेंट फॉर्म, सेफ्टी, कितने दिन तक एंटीबॉडीज रहते हैं यह तमाम सवाल पूछे गए थे. यह भी पूछा गया कि क्या वैक्सीनेशन के बाद भी बीमारी हो सकती है या नहीं तो उस पर विस्तार से चर्चा की गई. हमने बताया कि कैसे वैक्सीनेशन कोरोना को नियंत्रित करने में मदद करेगा. अंत में सभी लोग संतुष्ट नजर आए. मुझे उम्मीद है कि जब वैक्सीनेशन का दिन होगा तो काफी संख्या में लोग आएंगे.

दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट में आयोजित काउंसिलिंग सेशन में दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष अरुण गुप्ता ने हेल्थकेयर वर्कर्स के सवालों के जवाब देते हुए बताया कि वैक्सीनेशन सिस्टम को डेवलप किया गया था तो यह मानकर चल रहे थे कि बहुत लोग आएंगे, बहुत भीड़ होगी और शायद हम डिमांड को मैनेज न कर पाएं. इसलिए सिस्टम बनाया गया था कि लोगों को मैसेज के जरिए अपॉइंटमेंट दिया जाएगा. वह अपने समय से आएंगे ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके. लेकिन लोग कम आ रहे हैं इसलिए अब ऐसे लोगों को वॉक-इन के जरिए बुला लेंगे जो लोग पहले से रजिस्टर्ड हैं ताकि वो पहले आकर वैक्सीन लगवा लें.

दिल्ली में वैक्सीनेशन की कुल दर अभी तक करीब 49% रही है. इसी को देखते हुए इस तरह के काउंसिलिंग सेशन आयोजित कर हेल्थकेयर वर्कर को वैक्सीनेशन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. काउंसिलिंग सेशन और सेल्फी प्वॉइंट बनाकर वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने की कोशिश सरकार की है.

यह भी पढ़ें: तेलंगाना: वैक्सीन लेने के अगले दिन शख्स की मौत, स्वास्थ्य अधिकारी बोले- इसका टीकाकरण से संबंध नहीं भारत ने निभाई दोस्ती, मालदीव और भूटान पहुंची कोरोना वैक्सीन की पहली खेप

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