नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो शुक्रवार सुबह 9.29 बजे श्रीहरिकोटा से अपने पीएसएलवी सी40/कार्टोसैट २ मिशन का प्रक्षेपण करेगा. ये इस साल का पहला मिशन है साथ ही ये इसरो का 100वां उपग्रह होगा जो आसमान चूमेगा.


पीएसएलवी C40 अपने साथ 31 उपग्रह लेकर उड़ान भरेगा. जिसमें 3 भारत के और 28 उपग्रह 6 अलग अलग देशों के हैं. जिसमें फ्रांस, फ़िनलैंड, कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका और रिपब्लिक ऑफ कोरिया शामिल है. यह मिशन देश के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगा. इससे पहले भी इसरो एक साथ 104 सैटेलाइट का प्रक्षेपण कर विश्व रिकॉर्ड बना चूका है. 31 उपग्रह छोड़ने की 28 घंटों की उल्टी गिनती गुरुवार 11 जनवरी को सुबह 5.29 को शुरू हुई.


भारतीय उपग्रहों में से एक 100 किलोग्राम का माइक्रो सैटेलाइट और एक पांच किलोग्राम का नैनो सैटेलाइट शामिल है. बाकी 28 सैटेलाइट कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के हैं. 31 उपग्रहों का कुल वजन 1323 किलोग्राम है.


इसरो पिछले साल अगस्त में नेविगेशन उपग्रह आइआरएनएसएस-1एच के असफल प्रक्षेपण के बाद पहले ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) मिशन के साथ फिर से खेल में वापसी कर रहा है. उस विफल प्रक्षेपण के बाद इसरो के सामने चुनौती होगी विश्वनीयता कायम रखना है.


यह मिशन देश के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगा. बता दें कि कार्टोसैट-2 एक रिमोट सेंसिंग उपग्रह है. इसरो ने यह पहले भी बताया है कि कार्टोसैट सीरीज के सैटेलाइट्स high-resolution scene specific spot imagery में सक्षम है यानी निगरानी की अपनी दक्षता के कारण कार्टोसैट सीरीज के सैटेलाइट को ‘आई इन द स्काई’ के नाम से भी जाना जाता है. या ये भी कह सकते हैं कि भारत के पास एक ऐसा जासूस है जो धरती पर होने वाली गतिविधियों की नजदीक से निगरानी कर सकता है. कार्टोसैट-2सी सीरीज के सैटेलाइट का पहली बार मुख्य प्रयोग 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त हुआ था. सेना को एलओसी पर आतंकियों के लॉन्च पैड तबाह करने में इस सीरीज के सैटेलाइट से काफी मदद मिली थी.


इस मिशन में काटरेसैट-2 के अलावा भारत का एक नैनो उपग्रह और एक माइक्रो उपग्रह भी लॉन्च किया जाएगा. इन तीन भारतीय उपग्रहों के साथ इसरो अपने उपग्रहों का शतक पूरा करेगा. काटरेसैट-2 एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जो उच्च-गुणवत्ता वाला चित्र प्रदान करने में सक्षम है, जिसका इस्तेमाल शहरी व ग्रामीण नियोजन, तटीय भूमि उपयोग, सड़क नेटवर्क की निगरानी आदि के लिए किया जा सकेगा.


पिछले साल 31 अगस्त को इसी तरह के पीएएसएलवी रॉकेट से नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस-1 एच लॉन्च किया गया था, लेकिन हीट शील्ड न खुलने की वजह से सैटेलाइट रॉकेट के चौथे चरण में असफल हो गया था. इस मिशन की सफलता के साथ ही इसरो अपने विश्वास तो क़याम करेगा ही साथ ही इससे भारत की अंतरिक्ष के क्षेत्र में फतह और भी ऊँची लहराने लगेगी.