Interpol Annual General Assembly: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इंटरपोल (Interpol) की 91वीं वार्षिक महासभा आयोजित होगी. इस दौरान 195 देशों के पुलिस प्रमुख (Police Chief) और जांच एजेंसियों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) 18 अक्टूबर को इसका उद्घाटन करेंगे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) 21 अक्टूबर को समापन समारोह को संबोधित करेंगे. भारत में इंटरपोल का वार्षिक कार्यक्रम होना सबसे अहम है, क्योंकि 2022 हमारी आजादी का 75वीं वर्षगांठ का वर्ष भी है. बता दें कि पिछली बार भारत में महासभा 25 साल पहले 1997 में हुई थी.


दरअसल, इंटरपोल का मकसद होता है कि आने वाले सालों में आपराधिक चुनौतियों का सभी देश कैसे सामना करेंगे. कैसे आपसी समन्यवय के साथ अपराध और अपराधियों पर नकेल कसी जाएगी. इतना ही नहीं सभी देश एक-दूसरे से अपने-अपने देश की पुलिसिया कार्यशैली को भी शेयर करेंगे, ताकि सभी को एक दूसरे से कुछ ऐसी सीख मिले और कानून-व्यवस्था को मजबूत किया जा सके.


इंटरपोल ये महासभा बेहद अहम


देश और दुनिया में चल रहे आपराधिक गठजोड़ को देखते हुए दिल्ली में होने वाली इंटरपोल ये महासभा बेहद अहम मानी जा रही है. इस महासभा के जरिए दुनिया की तमाम एजेंसिया अपने अपने देशों में सक्रिय उन इंटरनेशनल गैंग पर नकेल लगाने की रणनीति बनायेंगे, जो विदेशों में बैठकर देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं.


इंटरपोल की इस बैठक में नार्को-टेररिज़्म, ड्रग सिंडिकेट, साइबर क्राइम, कुख्यात गैंगस्टर्स के ठिकानों और फ्रॉड से जुड़े अपराधियो और अपराध के पैटर्न पर न सिर्फ चर्चा होगी बल्कि एक दूसरे से इनपुट शेयर करने पर सहमति भी बनाने की कोशिश की जाएगी.


भारत में पहली बार कब हुआ था इसका आयोजन


इससे पहले साल 1997 में पहली बार भारत में इंटरपोल की आमसभा का आयोजन हुआ था. वहीं, भारत दूसरी बार इंटरपोल की महासभा की मेज़बानी करेगा. अधिकारियों के मुताबिक, इंटरपोल के महासचिव जर्गेन स्टॉक के अगस्त में भारत दौरे के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस संदर्भ में उनको एक प्रस्ताव सौंपा था.


इंटरपोल एक तरह से अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन है, जिसमें भारत समेत 194 सदस्य देश हैं. इंटरपोल का मुख्यालय फ्रांस के लयोन में स्थित है. इसकी स्थापना अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस आयोग के तौर पर 1923 में हुई थी और इसने 1956 में अपने आप को इंटरपोल कहना शुरू कर दिया. साल 1949 में भारत इसका सदस्य बना था. 


CBI इंटरपोल से संपर्क में रहने के लिए अधीकृत


दरअसल, सभी देश (All Country) इस प्लेटफार्म पर आकर अपने-अपने देश में मौजूद अपराधियों या फिर अपराध (Crime) की जानकारियां एक दूसरे से शेयर करते हैं. हिंदुस्तान में सीबीआई (CBI) इंटरपोल (In) से संपर्क में रहने के लिए अधिकृत है यानी सीबीआई इंटरपोल (Interpol) और देश की अन्य जांच एजेंसियों के बीच नोडल एजेंसी है. सीबीआई के पूर्व निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने चिली के सैंटियागो में चल रहे 88वें इंटरपोल महासभा में अपने संक्षिप्त संबोधन के दौरान भारत की मेजबानी का प्रस्ताव रखा, जिसके बाद सदस्य देशों ने भारी बहुमत से भारत की मेजबानी के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. भारतीय प्रतिनिधिमंडल में मध्य प्रदेश के डीजीपी और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर शामिल हैं.


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