WTO Ministerial Conference 2022: विकसित और विकासशील देशों के बीच तनाव ने पेटेंट की छूट की मांग के लिए बाधाएं पैदा कर दी हैं. विश्व व्यापार संगठन का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन स्विट्जरलैंड (Switzerland) के जिनेवा (Geneva) में चल रहा है. ऐसे में मेजबान देश स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन विश्व व्यापार संगठन के मंच पर महामारी के दौरान विकासशील देशों को आईपीआर (IPR) देने के प्रस्ताव का कथित तौर पर विरोध कर रहे हैं. इस वजह से ट्रिप्स वेवर (TRIPS Waver) का प्रस्ताव पास नहीं हो पा रहा है.
भारत ने दिया था सुझाव
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत ने सुझाव दिया था कि विकसित देशों और बड़ी फार्मा कंपनियों को महामारी के दौरान मानवीय मुद्दों पर विचार करना चाहिए. भारत ने कहा था कि उसे और दुनिया को कोविड (Covid) महामारी से पैदा हुई मुश्किलों से बाहर निकलना है. इसे लेकर विकसित देशों को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा भारत की तरफ से कहा गया था कि विकसित देशों के बाजार पर कब्जा बनाए रखने, मुनाफा कमाने की होड़ के चलते ही विकासशील देशों को मदद नहीं मिल रही. इसके साथ ही ये विकासशील देशों में टीकों पर बौद्धिक संपदा अधिकारों की शर्तों में ढील देने के लिए तैयार नहीं हैं. इस वजह से ही ट्रिप्स वेवर के जरिए विकासशील और गरीब देशों को फ़ायदा नहीं मिल पा रहा है.
नहीं हुआ राजी मेजबान देश
जहां WTO के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कई देश बौद्धिक संपदा अधिकारों पर छूट पर सहमत होने के कगार पर थे, वहीं यूके, स्विट्जरलैंड जैसे कुछ विकसित देशों ने इसे खारिज कर दिया है. ये मसौदा आर्थिक हितों की खोज के विरोध में है. इसके बावजूद कि विकासशील देशों का बाजार विकसित दुनिया के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है. डेढ़ साल पहले, भारत और दक्षिण अफ्रीका ने मांग की कि विकासशील देशों की मदद की जाए और वैक्सीन पर वित्तीय लाभ हासिल किए बगैर महामारी के समय में भी पेटेंट छूट देकर मानवीय तौर पर इलाज मुहैया कराया जाए. विश्व व्यापार संगठन (WTO) के 164 सदस्य देशों के साथ 150 से अधिक देशों ने भी मांग का समर्थन किया था. हालांकि, ऐसे समय में भी, पेटेंट का विरोध बढ़ रहा है, यह मानते हुए कि विकासशील देश एक आय का साधन हैं. मुट्ठी भर अमीर देश ही इस प्रक्रिया में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए इस मुद्दे पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल लग रहा है, जब तक कि अमीर और विकसित देश इसके लिए तैयार न हों.
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