नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा के मामले में गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत मुकदमे का सामना कर रही सफूरा जरगर को थोड़ी राहत दी है. कोर्ट ने सफूरा को अपने बच्चे की समुचित देखभाल के लिए दो महीने के लिए अपने मायके जाने की इजाजत दी है.
सफूरा जरगर ने इस साल 12 अक्टूबर को एक बच्चे को जन्म दिया. फिलहाल वो जमानत पर हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने मानवीय आधार पर 23 जून को उन्हें जमानत दे दी थी क्योंकि उस समय वह 23 हफ्ते की गर्भवती थीं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने अभियोजन के आपत्ति नहीं जताने पर जरगर को गुरुवार से उन्हें हरियाणा में अपने मायके जाने की इजाजत दे दी.
अदालत ने सफूरा जरगर को गूगल मैप के जरिए अपना पता भी देने को कहा ताकि जांच अधिकारी उनकी उपस्थिति और स्थान की पड़ताल कर सके. न्यायाधीश ने जरगर को हाईकोर्ट के जरिए जमानत के समय दिए गए सभी निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया.
आपत्ति नहीं
जरगर की ओर से पेश अधिवक्ता रितेश दुबे ने अदालत से कहा कि जरगर स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं और उन्हें अपने बच्चे की देखभाल करनी है. इसके लिए वह दो महीने के लिए मायके जाना चाहती हैं. पुलिस की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कहा कि उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है और अदालत आवश्यक शर्तें लगा सकती है.
क्या हैं आरोप?
बता दें कि जामिया मिलिया इस्लामिया से एमफिल की छात्रा सफूरा जरगर को 10 अप्रैल को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को भड़काने के आरोप थे. पुलिस ने गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम के तहत उसे जेल में बंद कर दिया था.
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