निर्भया गैंगरेप: दोषियों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग वाली याचिका कोर्ट ने स्वीकार की
तिहाड़ जेल प्रशासन ने 31 अक्टूबर को मामले के दोषियों को एक नोटिस दिया था, जिसके अनुसार अगर उन्होंने दया याचिका दायर नहीं की तो सात दिनों के अंदर उन्हें फांसी दे दी जाएगी.
नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया दुष्कर्म पीड़िता की मां की वह याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें उन्होंने चार दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दिलवाने के लिए मामला दूसरे न्यायाधीश के पास भेजने का आग्रह किया था. याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने मामला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश अरोड़ा के पास भेज दिया है.
चार दोषियों को फांसी देने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए निर्भया के परिजनों ने 16 नवंबर को पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस मामले की सुनवाई कर रहे दो न्यायाधीशों का स्थानांतरण (ट्रांसफर) हो चुका है. अधिवक्ता सीमा समृद्धि कुशवाह द्वारा दायर याचिका जिला न्यायाधीश यशवंत सिंह ने स्वीकार की थी, जिन्होंने मामले की सुनवाई के लिए 25 नवंबर की तिथि तय की थी.
पीड़िता के परिजनों ने कहा कि मामले की सुनवाई कर रहे दो न्यायाधीशों का ट्रांसफर हो चुका है, जिसके कारण फांसी स्थगित हो गई है, जिससे उन्हें न्याय मिलने में देरी हो रही है. अधिवक्ता कुशवाह ने कहा, "जजों की अनुपलब्धता के कारण मामले में हमें न्याय मिलने में देरी हो रही है, जिसके कारण हमने कोर्ट के दरवाजे खटखटाए." उन्होंने कहा कि दोषियों के सभी उपाय समाप्त हो चुके हैं. फिर भी जज की अनुपलब्धता के कारण मामला आगे नहीं बढ़ सकता. हमने दुष्कर्म के दोषियों को फांसी देने का जेल प्रशासन को निर्देश देने के लिए कोर्ट से अपील की है."
तिहाड़ जेल प्रशासन ने 31 अक्टूबर को मामले के दोषियों को एक नोटिस दिया था, जिसके अनुसार अगर उन्होंने दया याचिका दायर नहीं की तो सात दिनों के अंदर उन्हें फांसी दे दी जाएगी. पिछले साल दिसंबर में निर्भया के परिजनों ने मामले के चार दोषियों को फांसी देने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी.
उल्लेखनीय है कि सोलह दिसंबर, 2012 की रात दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में छह लोगों ने 'निर्भया' (23) के साथ मिलकर दुष्कर्म किया था. सामूहिक दुष्कर्म इतना विभीत्स था कि इससे देशभर में आक्रोश पैदा हो गया था, और सरकार ने दुष्कर्म संबंधी कानून और सख्त किए थे. छह दुष्कर्म दोषियों में से एक नाबालिग था, जिसे बाल सुधार गृह में भेज दिया गया और बाद में रिहा कर दिया गया. एक दोषी ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी.
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