Delhi HC on Agneepath Scheme: सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना पर विवाद अब भी जारी है. दिल्ली हाई कोर्ट में इस योजना को रद्द करने को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई चल रही है. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने बुधवार (14 दिसंबर) को केंद्र से पूछा कि यदि 'अग्निवीरों' और नियमित सिपाहियों का जॉब प्रोफाइल एक जैसा है तो उनका वेतन अलग-अलग क्यों है?


कोर्ट के सवाल पर केंद्र सरकार के वकील ने जवाब देते हुए कहा, "सशस्त्र बलों के नियमित कैडर से अग्निवीरों का कैडर अलग है." जिस पर कोर्ट ने फिर अपना सवाल दोहराते हुए कहा, "विभिन्न कैडर जॉब प्रोफाइल का जवाब नहीं देते. हमारा सवाल काम और जिम्मेदारी का है. यदि जॉब प्रोफाइल समान है तो आप अलग-अलग वेतन को कैसे उचित ठहरा सकते हैं?"


केंद्र से हलफनामे में मांगा जवाब


हाई कोर्ट ने इस विषय पर केंद्र सरकार से हलफनामा दायर करके जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी रख रही हैं. पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को इस विषय पर पूरी जानकारी लेकर हलफनामे में दर्ज करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा, "जॉब प्रोफाइल पर बहुत कुछ निर्भर करता है, यदि जॉब प्रोफाइल समान है तो आप अलग-अलग वेतन को कैसे उचित ठहरा सकते हैं?" 


'अग्निवीर और नियमित कैडर की भूमिका अलग'


वहीं, इसका जवाब देते हुए भाटी ने कहा, "अग्निवीर कैडर भारतीय सशस्त्र बलों के नियमित कैडर से अलग है. इसके नियम और शर्तें और साथ ही जिम्मेदारियां भी अलग हैं." ऐश्वर्या भाटी ने कहा, "यदि कोई परिचालन संबंधी समस्या उत्पन्न होती है तो उसे सुलझा लिया जाएगा क्योंकि सरकार का हित सशस्त्र बलों को सर्वोच्च स्थान पर रखना है."


अग्निवीर ऐसे बन सकता है नियमित सिपाही


उन्होंने कहा, "अग्निवीर और नियमित सैनिक की जिम्मेदारी एक जैसी नहीं हो सकती. यहां तक कि अग्निवीरों और सामान्य कैडर का काम भी एक जैसा नहीं होता." उन्होंने कहा, "अग्नीवीर कैडर को एक अलग कैडर के रूप में बनाया गया है. इसे एक नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जाएगा. चार साल तक अग्निवीर के रूप में सेवा करने के बाद, यदि वह वॉलेंटियर फिट पाया जाता है तो नियमित कैडर बन सकता है." 


अग्निवीर बनना कोई मजबूरी नहीं है- HC


इससे पहले हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा था कि अग्निपथ योजना से उनके किस अधिकार का उल्लंघन हुआ है? कोर्ट ने कहा था, "अग्निपथ स्कीम स्वैच्छिक है. जिन लोगों को इससे कोई समस्या है, उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल नहीं होना चाहिए."


कोर्ट ने कहा था, "सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को थलसेना, नौसेना और वायुसेना के विशेषज्ञों ने बनाया है. न्यायाधीश सैन्य विशेषज्ञ नहीं हैं. सरकार ने एक विशेष नीति बनाई है. यह अनिवार्य नहीं है, यह स्वैच्छिक है. आपको यह साबित करना होगा कि अधिकार छीन लिया गया है, नहीं तो शामिल न हों. कोई मजबूरी नहीं है."


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