नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के प्रति कथित रूप से अपमानजनक ट्वीट करने के मामले में अधिवक्ता व कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ मंगलवार को स्वत: अवमानना की कार्यवाही शुरू की. अदालत ने ट्विटर इंडिया के खिलाफ भी अवमानना की कार्यवाही शुरू की है.
भूषण की कथित अपमानजनक टिप्पणियां ट्विटर हैंडल से ही प्रसारित हुई थीं. न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष यह मामला बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है. प्रशांत भूषण न्यायपालिका से जुड़े मसले लगातार उठाते रहे हैं.
हाल ही में उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान दूसरे राज्यों से पलायन कर रहे कामगारों के मामले में शीर्ष अदालत के रवैये की तीखी आलोचना की थी. भूषण ने भीमा-कोरेगांव मामले में आरोपी वरवर राव और सुधा भारद्वाज जैसे जेल में बंद नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं के साथ हो रहे व्यवहार के बारे में बयान भी दिये थे.
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि प्रशांत भूषण के किस ट्वीट को पहली नजर में शीर्ष अदालत की अवमानना करने वाला माना गया है.
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर, 2009 में प्रशांत भूषण को अवमानना का नोटिस दिया था. बताया जा रहा है कि ये एक पत्रिका को दिये गये इंटरव्यू में शीर्ष अदालत के कुछ पूर्व और पीठासीन न्यायाधीशों के बारे में कथित रूप से आक्षेप किये जाने के मामले में दिया गया था.
यह मामला शीर्ष अदालत में अभी तक लंबित है और न्यायालय की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह प्रकरण अंतिम बार मई, 2012 में सूचीबद्ध हुआ था.
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