कोर्ट ने जर्नलिस्ट सिद्दीकी कप्पन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत देने से किया इनकार, जेल से नहीं होगी रिहाई
Siddique Kappan News: केरल के पत्रकार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत 2020 में गिरफ्तार किया गया था.
Court Rejected Siddique Kappan Bail: केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन (Siddique Kappan) को लखनऊ की एक अदालत ने सोमवार (31 अक्टूबर) को मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कप्पन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था, जिसमें कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से मना कर दिया है. इस फैसले के बाद कप्पन को अभी भी जेल में ही रहना होगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सितंबर में कप्पन को यूएपीए (UAPA) के मामले में जमानत पर रिहा करने का आदेश सुनाया था.
यूपी पुलिस ने किया था गिरफ्तार
मामले की सुनवाई कर रहे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट संजय शंकर पांडे ने इस महीने की शुरुआत में मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था. केरल के पत्रकार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने आतंकवाद विरोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत 2020 में गिरफ्तार किया गया था. यूपी पुलिस ने दावा किया था कि कप्पन कट्टरपंथी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़ा था. हालांकि, कप्पन को 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले के कारण वह अभी भी जेल में ही बंद हैं.
ईडी ने लगाया ये आरोप
प्रवर्तन निदेशालय ने फरवरी फरवरी 2021 में इस मामले में कप्पन और पीएफआई के चार पदाधिकारियों के खिलाफ दायर चार्जशीट दायर की. ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा कि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के राष्ट्रीय महासचिव केए रऊफ शेरिफ ने खाड़ी में पीएफआई सदस्यों के माध्यम से पैसा जुटाया और गैनकानूनी लेनदेन के माध्यम से इस पैसे को भारत में भेजा. सीएफआई, पीएफआई से ही जुड़ा एक संगठन है. यह पीएफआई के प्रमुख संगठनों में से एक था जिसे गृह मंत्रालय ने 28 सितंबर की जारी अपनी अधिसूचना में नामित किया गया था. इस अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने इन संगठनों को यूएपीए के तहत गैरकानूनी घोषित किया था.
गौरतलब है कि है कि पीएमएलए के तहत, जमानत हासिल करना आम तौर पर मुश्किल होता है. कानून यह निर्धारित करता है कि अदालत तब तक जमानत नहीं देगी जब तक कि वह संतुष्ट न हो कि व्यक्ति दोषी नहीं है. कप्पन को सुप्रीम कोर्ट से यूएपीए मामले में जमानत तो मिली लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत नहीं मिली थी. कानून के मुताबिक, आरोपी को अपने खिलाफ दर्ज सभी मामलों में जमानत लेनी होती है, उसके बाद ही वह जेल से रिहा किया जा सकता है.
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