नई दिल्ली: पिंजरा तोड़ की दो सदस्यों की मांग को दिल्ली की एक अदालत ने ठुकरा दिया है. उन्होंने दिल्ली दंगों के संबंध में गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (UAPA) के तहत दर्ज मामले की अदालत की निगरानी में जांच कराने की मांग की थी. देवांगना कालिता और नताशा नरवाल के खिलाफ UAPA मामलों की जांच संबंधी याचिका को मंगलवार को अदालत ने खारिज कर दी.


पिंजरा तोड़ सदस्यों की याचिका खारिज


उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के संबंध में कालिता और नरवाल के खिलाफ दंगों के कथित 'पूर्व नियोजित षड़यंत्र' में शामिल होने के लिए UAPAके तहत मामला दर्ज किया गया है. याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने टिप्पणी की, "पुलिस को केवल इसलिए नहीं बदनाम किया जा सकता है कि उसके कुछ सदस्य गलत हैं. जांच एजेंसी पर पहले ही काफी बोझ हैं. ऐसे में जांच की निगरानी के नाम पर उसे कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपने का कोई आधार नहीं बनता."


दिल्ली दंगों में गई थी 53 लोगों की जान


अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा, "मेरे विचार में अभियुक्तों के पास निष्पक्ष सुनवाई का निर्विवाद मौलिक अधिकार है जो अनिवार्य रूप से निष्पक्ष जांच के आधार पर स्थापित है." गौरतलब है कि पिंजरा तोड़ की सदस्य जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्राएं हैं. दिल्ली दंगों में कम से कम 53 लोगों की जान चली गई थी. इससे पहले सोमवार को पुलिस उच्च न्यायालय को बता चुकी है कि उसे दंगों की जांच के दौरान नेताओं की भूमिका के कोई सबूत नहीं मिले हैं.


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