Kerala High Court On POCSO Act: केरल हाईकोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ और बाल विवाह (Child Marriage) को लेकर एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ी बात कही. कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी मुस्लिम है, तब भी उसपर पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) लागू होता है. पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिमों के बीच हुई शादी पॉक्सो एक्ट के दायरे से बाहर नहीं है. पति अगर नाबालिग पत्नी के साथ संबंध बनाता है, तो उस पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया जा सकता है. 


जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस की सिंगल बेंच ने शुक्रवार (19 नवंबर) ने एक आरोपी की जमानत याचिका पर फैसला सुनाया कि अगर लड़की नाबालिग है, तो पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध लागू होगा. कोर्ट ने 16 वर्षीय लड़की से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी. पीड़ित पक्ष के अनुसार, आरोपी ने नाबालिग युवती को अगवा कर कई बार उसका यौन उत्पीड़न किया. बाद में 31 वर्षीय व्यक्ति ने नाबालिग से शादी कर ली.


आरोपी ने कोर्ट में दी ये दलील


आरोपी ने कहा कि उसने कानूनी रूप से लड़की से शादी की थी और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड युवावस्था प्राप्त करने के बाद समुदाय की लड़कियों के विवाह की अनुमति देता है. उस पर पॉक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. आरोपी ने तर्क दिया कि उसने मार्च 2021 में लड़की से शादी की थी और उनपर लागू व्यक्तिगत कानूनों के तहत उसे अपना कानूनी साथी बनाया था. उन्होंने अपने दावे के समर्थन में हरियाणा, दिल्ली और कर्नाटक हाईकोर्ट के पहले के फैसलों का भी हवाला दिया, लेकिन अदालत ने उसकी सभी दलीलों को खारिज कर दिया.


हाईकोर्ट ने क्या कहा?


केरल हाईकोर्ट ने आरोपी की दलील सुनने के बाद कहा कि अगर विवाह में से एक पक्ष नाबालिग है, तो विवाह की वैधता के बावजूद  पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध मान्य होंगे. जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि वह दूसरे कोर्ट के फैसलों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. पॉक्सो एक्ट काफी सोच समझकर बनाया गया था. यह बाल विवाह और बाल यौन शोषण के खिलाफ है. इस हिसाब से शादी होने के बाद भी किसी नाबालिग से शारीरिक संबंध बनाना कानूनी अपराध है. कोर्ट ये तमाम तर्क देते हुए आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.


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