विशाखापट्टनम गैस रिसाव: सुप्रीम कोर्ट ने 50 करोड़ रुपये का मुआवजा बांटने से आंध्र सरकार और NGT को रोका, जानें क्यों
सुप्रीम कोर्ट ने विशाखापट्टनम में गैस रिसाव के पीड़ितों के बीच 50 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि बांटने से आंध्र प्रदेश सरकार और एनजीटी को 10 दिनों के लिए रोक दिया है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने विशाखापट्टनम में सात मई को एलजी पॉलीमर्स इंडिया लिमिटेड के संयंत्र में गैस रिसाव के पीड़ितों के बीच 50 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि बांटने से आंध्र प्रदेश सरकार और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को 10 दिनों के लिए रोक दिया है. ये रकम कंपनी ने निर्देश के मुताबिक मुआवजा बांटने के लिए जमा कराई है. गौरतलब है कि इस हादसे में एक नाबालिग सहित 12 लोगों की मौत हो गयी थी.
न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौडर तथा न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई करते हुए दक्षिण कोरियाई कंपनी के निवेदन का संज्ञान लिया. कंपनी ने कहा कि संयंत्र को खोलने और गैस रिसाव संबंधी जांच की तैयारी के लिये दस्तावेजों को प्राप्त करने के वास्ते उसकी अर्जी पर सुनवाई आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में अब भी लंबित है.
मुआवज़े पर न्यायालय ने लगाई 10 दिनों की रोक
पीठ ने कहा, ‘एनजीटी के शुरुआती आदेश को चुनौती दिए जाने के मद्देनजर हम अल्पकालिक अंतरिम निर्देश जारी कर एनजीटी द्वारा एक जून की तारीख वाले निर्देश के 40वें पैरा (50 करोड़ रुपये मुआवजा) पर अगले दस दिनों के लिए रोक लगा रहे हैं।’
पीठ ने कंपनी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलें सुनीं और एनजीटी तथा सरकारी प्राधिकारों को कुछ समय के लिए मुआवजा राशि नहीं बांटने और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कंपनी की याचिकाओं पर अगले सप्ताह सुनवाई करने का आग्रह किया.
सुनवाई के दौरान रोहतगी ने फैक्टरी को सील किए जाने के आदेश और हाई कोर्ट द्वारा कंपनी के निर्देशकों का पासपोर्ट जमा करने के निर्देश के खिलाफ भी दलीलें दी.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें एलजी पॉलीमर्स इंडिया लिमिटेड को संयंत्र में लगातार सुरक्षा उपाय दुरुस्त रखने के लिए 30 कर्मचारियों को भेजने की अनुमति दी गयी थी.
बता दें कि 08 मई को एनजीटी ने कंपनी पर 50 करोड़ रुपये का अंतरिम जुर्माना लगाया था और गैस रिसाव की घटना पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगते हुए कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि नियम और अन्य संवैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं हुआ.
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