महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री के दोनों करीबी 1 जुलाई तक ईडी की हिरासत में, जांच एजेंसी ने अनिल देशमुख को भेजा दूसरा समन
शनिवार को महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के करीबी कुंदन शिंदे और संजीव पलांडे को कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने दोनों को 1 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया. वहीं ईडी ने शनिवार को अनिल देशमुख को दूसरा समन भेजकर मंगलवार को पूछताछ के लिए बुलाया.
मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के दो करीबियों को कोर्ट ने 1 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है. वहीं देशमुख को दूसरा समन भेजा गया. 100 करोड़ के कथित वसूली मामले में मानी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच कर रही ईडी ने इस मामले में पहली गिरफ्तारी की और इसी जांच के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को शनिवार को पेश होने के लिए समन भेजा था. इसपर उनके वकील जयवंत पाटिल ने ईडी को पत्र लिखकर अतिरिक्त समय की मांग की.
इसके बाद ईडी ने शनिवार को देशमुख को दूसरा समन भेजकर उन्हें मंगलवार को ईडी के सामने हाजिर होने के लिए कहा है. इसी बीच शनिवार को देशमुख के करीबी कुंदन शिंदे और संजीव पलांडे को कोर्ट में पेश किया गया. ईडी की ओर से कोर्ट में कहा गया कि यह मामला बार मालिकों से पैसे लेने और अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए पैसे लेने का है.
ईडी की जांच में पता चला है कि कुल 4.70 करोड़ रुपयों के वसूली का मामला उनके सामने आया है जिसके लिए कई बार मालिकों के बयान को ईडी ने रिकॉर्ड किया जिसमें उन्होंने कहा कि दिसंबर 2020 में सचिन वाझे ने उनसे संपर्क साधा और बार मालिकों से गुडलक के रूप में 40 लाख रुपये लिए. उस समय सचिन वाझे क्राइम ब्रांच की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट सीआईयू के इंचार्ज थे.
ईडी ने यह भी कहा कि साल 2021 के जनवरी और फरवरी में मुम्बई के जोन 1 से जोन 6 में आने वाले ऑरकेस्ट्रा बार मालिकों ने कुल 1.64 करोड़ रुपये दिए तो वहीं जोन 7 से जोन 12 के अंतर्गत आने वाले ऑरकेस्ट्रा बार मालिकों ने 2.74 करोड़ रुपए दिए थे.
कोर्ट की इजाजत लेकर ईडी ने वाझे का बयान तलोजा जेल में जाकर लिया. वाझे ने अपने बयान में बताया कि जो 4.70 करोड़ रुपये उन्होंने इन बार मालिकों से इकट्ठा किए थे. वो उन्होंने देशमुख के कहने पर उनके पीए कुंदन शिंदे को दिया था.
इसके अलावा ईडी ने दो पुलिस अधिकारियों बयान भी दर्ज किए जिसमे उन्होंने बताया था कि संजीव पलांडे भी इस पूरे मामले शामिल हैं. अधिकारियों का कहना है कि वाझे ने उन्हें बताया कि यह पैसे उन्होंने संजीव पलांडे के कहने पर बार मालिकों से जमा किया.
ईडी को इन पैसों का ट्रेल भी पता चला है ईडी ने कोर्ट को बताया को जो 4.70 करोड़ रुपये इन्होंने जमा किये थे, वो नागपुर से दिल्ली हवाला के माध्यम से गया था और फिर दोबारा श्री साईं संस्था नाम के ट्रस्ट में लौटा है. इस ट्रस्ट को अनिल देशमुख का परिवार चलता हैं और इस ट्रस्ट में कुंदन शिंदे भी एक महत्वपूर्ण पद पर हैं.
ईडी इस ने कोर्ट को कहा कि वो इस बात की जांच करना चाहते हैं कि शिंदे और पलांडे को कितने पैसे मिले, साथ ही जो पैसे आए हैं, उसके मनी ट्रेल की बारीकी से जांच की जानी है. इसके अलावा कुंदन शिंदे ने अनिल देशमुख के कहने पर कैश में पैसे जमा किये और उसे इस पैसे को मनी लॉन्ड्रिंग करने में मदद की थी. इतना ही नही संजीव पलांडे पुलिस ट्रांसफर में भी दखलअंदाजी करता था और पोस्टिंग के लिए पैसे लेता था. इसी अब यह पता लगा रही है कि यह सारे पैसे कहां हैं और इसलिए इनकी 7 दिनों के रिमांड की मांग की.
ईडी की बात सुनने के बाद आरोपियों के वकील ने कोर्ट में कहा कि यह पूरा मामला राजनीतिक है और राजनीति की एक बड़ी मछली को पकड़ने के लिए है. इसीलिए इन आरोपियों को चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर पूछताछ ही करनी थी तो समन देकर बुलाया जा सकता था लेकिन ईडी ने सीधे घर पर छापेमारी की और हमें वहीं समन थमाए और अपने साथ ले आए. देर रात हमारी गिरफ्तारी कर ली.
पलांडे के वकील जे शेखर ने कोर्ट में कहा कि ईडी एक इलीट ऑर्गेलाइजेशन है लेकिन इस बार उन्होंने काम किसी लोकल पुलिस के स्तर का किया है. सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरीके से एक ज़माने में सीबीआई को पिंजरे का तोता कहा था, उसका उदाहरण देते हुए शेखर ने कहा कि ठीक उसी तरह ईडी एक केज्ड स्पैरो (पिंजड़े में बंद गौरैया) है जो करती कुछ नहीं और सिर्फ ट्वीट करती है.
इस बयान पर ईडी के वकील ने एतराज़ जताया और कहा कि इस तरह के व्यक्तिगत आक्षेप नहीं होने चाहिए जिसके बाद आरोपियों के वकील ने तुरंत माफी भी मांग ली. साथ ही कोर्ट ने भी चेतावनी दी कि वकील इस तरह की भाषा का प्रयोग करने से बचें.
आरोपी के वकील ने कहा कि परमबीर सिंह का चैट करना और उसे अपने पत्र में इस्तेमाल करना एक स्डेज्ड ड्रामा है जिसे सिर्फ सीएम को चिट्ठी लिखने के दौरान इस्तेमाल करने की पूर्वयोजना थी. बाद में उसी पत्र का इस्तेमाल एडवोकेट जयश्री पाटिल ने हाईकोर्ट के अपनी याचिका में किया था.
पुलिस ट्रांसफर के मुद्दे पर शेखर ने कहा कि पुलिस ट्रांसफर का काम पुलिस स्टैबलिस्मेंट बोर्ड करता है जिसकी सिफारिश पर मुख्यमंत्री फैसला लेते हैं. यह जिस समय का मामला है, उस समय बोर्ड में अब के चीफ सेक्रेटरी सीताराम कुंटे और वर्तमान सीबीआई चीफ सुबोध जैसवाल सदस्य थे. तो क्या यह मान लिया जाए कि स्टेट काडर के एडिशनल कलेक्टर लेवल के अधिकारी संजीव पलांडे ना सिर्फ पुलिस स्टैबलिस्मेंट बोर्ड को प्रभावित कर सकते थे, बल्कि मुख्यमंत्री के ऊपर जाकर भी फैसला प्रभावित कर सकते थे. यह सब निराधार है और अगर आपके अनुसार ऐसा है तो क्या आप कुंटे और जैसवाल को भी आरोपी मानते हैं? दोनों तरफ की जिरह सुनने के बाद कोर्ट ने दोनों ही आरोपियों को 1 जुलाई तक ईडी की कस्टडी में भेज दिया.