नई दिल्ली: पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन बीजेपी को पसंद नहीं आ रही है. बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि धार्मिक मामलों में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. वहीं मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता ने तो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन मामने से ही इनकार कर दिया है. कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि इस तरह के निर्देशों का पालन प्रशासन भी नहीं करा पाता है, मध्यरात्रि में पूजा होती है इसलिए पटाखे फोड़ने की परंपरा भी है.
वहीं दूसरी ओर उज्जैन से सांसद और मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता चिंतामणि मालवीय ने विवादित बयान दिया है. उनका कहना है कि दीवाली पर पटाखों को लेकर किसी गाइडलाइन का का पालन नहीं करेंगे. चिंतामणि मालवीय ने इसे लेकर फेसबुक पर एक विवादित पोस्ट भी लिखी है.
अपने फेसबुक पोस्ट में मालवीय ने लिखा, ''अपनी दीवाली अपने परंपरागत तरीके से मनाऊंगा और रात में लक्ष्मी पूजन के बाद 10 बजे के बाद ही पटाखे जलाऊंगा. हमारी हिन्दू परंपरा में किसी की भी दखलंदाजी में हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकता. मेरी धार्मिक परम्पराओं के लिए यदि मुझे जेल भी जाना पड़े तो मैं खुशी खुशी जेल भी जाऊंगा.''
पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला है क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री, उत्पादन और जलाने पर रोक तो नहीं लगाई लेकिन कड़ी शर्तें जरूर लगाई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ग्रीन पटाखे (कम प्रदूषण वाले पटाखे) बनाने की अनुमति दी जाए. सिर्फ लाइसेंस धारक ही बेचे. सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर भी रोक लगा दी है.
कोर्ट ने पटाखे जलाने का समय भी निर्धारित कर दिया है. रात आठ बजे से रात 10 बजे तक ही पटाखे जलाए जा सकते हैं, नए साल और क्रिसमस पर 11 :55 PM से 12 :15 AM तक पटाखे चला सकेंगे. कोर्ट ने देशभर में प्रशासन को आदेश दिया कि लगातार पटाखा बनाने की फैक्ट्री में जांच की जाए कि हानिकारक केमिकल का इस्तेमाल न हो.
कोर्ट ने साफ किया कि ये आदेश दीवाली ही नहीं किसी भी धार्मिक और सामाजिक पर्व पर लागू होगा. 28 अगस्त को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने दलील पूरी होने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.