नयी दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने अदालत में उचित पोशाक में नहीं आने पर दो पासपोर्ट अधिकारियों को बुधवार को फटकार लगा दी. साल 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी ने ध्यान दिया कि एक अधिकारी टी-शर्ट पहनकर आए हैं, जबकि दूसरे अधिकारी ने जींस और फॉर्मल शर्ट पहन रखी है. शर्ट के बटन सीने तक खुले होने के कारण सोने की चेन भी साफ नजर आ रही थी.


नाराज न्यायाधीश ने पूछा, ‘‘इस तरह अदालत में कैसे आ सकते हैं? क्या वह इसी तरह ऑफिस जाते हैं. क्या इसी तरह के पोशाक में अदालत आया जाता है?’’ अदालत ने पासपोर्ट प्राधिकार के वकील से पूछा कि किस तरह वह ऐसे परिधान में अधिकारी को अदालत लेकर आए. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘वह भारत सरकार के अधिकारी हैं. अदालत की गरिमा होती है और इसे बनाए रखना चाहिए.’’


लखनऊ में खराब हैंडराइटिंग पर कोर्ट का जुर्माना
वहीं ऐसे ही एक अजीबों-गरीब मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक फैसला सुनाया है जो चर्चा का विषय बना हुआ है. तीन डॉक्टरों पर कोर्ट ने 5-5 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया है. अपराध के तीन अलग मामलों में सीतापुर, उन्नाव और गोंडा के अस्पतालों ने जो रिपोर्ट पेश की थी वो पढ़े जाने योग्य नहीं थी क्योंकि डॉक्टरों की लिखावट बेहद खराब थी.


इस बात को बेंच ने कोर्ट के काम में बाधा माना और तीनों डॉक्टरों- उन्नाव के टीपी अग्रवाल, सीतापुर के पीके गोयल और गोंडा के आशीष सक्सेना को हाजिर होने के आदेश जारी किए. जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस संजय हरकोली की बेंच ने इन डॉक्टरों को कोर्ट की लाइब्रेरी में 5-5 हजार जमा करने के आदेश दिए.


कोर्ट ने कहा कि बार-बार डॉक्टरों से कहा जा रहा है कि वे अपनी लिखावट में आसान शब्द लिखें लेकिन उनकी लिखावट ऐसी होती है जिसे समझ पाना जजों और वकीलों के लिए बहुत अधिक कठिन होता है. हर बार मेडिकोलीगल रिपोर्ट पढ़ने के लिए डॉक्टरों को बुलाना भी संभव नहीं.


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