Supreme Court Judge: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने कहा है कि भारत (India) में अदालतों (Court) पर मुकदमों का ‘‘अत्यधिक बोझ’’ है और लंबित मामलों की संख्या के मद्देनजर मध्यस्थता (Mediation) जैसा विवाद निस्तारण तंत्र एक अहम उपकरण है. जस्टिस चंद्रचूड़ (Justice Chandrachud) ने शुक्रवार को यहां ‘इंडियन लॉ सोसाइटी’ में ‘आईएलएस सेंटर फॉर आर्बिट्रेशन एंड मेडिएशन’ (ILSCA) का उद्घाटन करने के बाद यहां न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़ स्मृति व्याख्यान देते हुए कहा, ‘‘हम जानते हैं कि भारत में अदालतों पर मुकदमों का अत्यधिक बोझ है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च’ द्वारा किये गये अध्ययन के अनुसार, 2010 और 2020 के बीच सभी अदालतों में लंबित मामलों की संख्या में सालाना 2.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.’’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पिछले दो साल में वैश्विक महामारी और इससे मानव जाति पर पड़े प्रभाव ने लंबित मामलों की पहले से ही चिंताजनक दर को और बढ़ा दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में 71 हजार मामले लंबित
उन्होंने कहा कि उपलब्ध आंकड़े के अनुसार, जिला और तालुका अदालतों में 4.1 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं और विभिन्न उच्च न्यायालयों में लगभग 59 लाख मामले लंबित हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘इस समय सुप्रीम कोर्ट में 71,000 मामले लंबित हैं. इस संख्या को देखते हुए, मध्यस्थता जैसा विवाद निस्तारण तंत्र एक अहम उपकरण है.’’
मध्यस्थता का इस्तेमाल पूरी दुनिया में बढ़ा
उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि मध्यस्थता (Mediation) का इस्तेमाल पूरी दुनिया और निश्चित रूप से भारत (India) में प्रमुखता से बढ़ा है और संसद (Parliament) में हाल में ‘मध्यस्थता विधेयक- 2021' पेश किया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं विधेयक के प्रावधानों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन प्रावधानों को लेकर विभिन्न हितधारकों की प्रतिक्रिया स्पष्ट रूप से दिखाती है कि विवाद समाधान के तरीके के रूप में मध्यस्थता को स्वीकार किया जा रहा है.
यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय स्तर (International Level) पर भी भारत सिंगापुर (India Singapore) मध्यस्थता संधि पर सबसे पहले हस्ताक्षर करने वाले देशों के समूह में शामिल रहा और उसने वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता का संकेत दिया.’’ उन्होंने कहा कि सिंगापुर मध्यस्थता संधि अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता समझौते को लागू करने की दिशा में सही कदम है.
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