28 जून से 2-6 साल के बच्चों पर शुरू होगा कोवैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल | पढ़ें पूरी जानकारी
अभी तक 6 से 12 साल और 12 से 18 साल की आयु के बच्चों का क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है. 28 जून से दिल्ली एम्स और पटना एम्स में 2 से 6 साल के बच्चों पर भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू होगा.
नई दिल्ली: दिल्ली और पटना एम्स में 28 जून से भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन का 2 से 6 साल के बच्चों पर स्क्रीनिंग और ट्रायल शुरू होगा. बच्चों के ट्रायल को तीन आयु वर्ग में बाटा गया है. 2 से 6 साल, 6 से 12 साल और 12 से 18 साल तक की आयु तय की गई है. अब तक 6 से 12 साल और 12 से 18 साल के बच्चों का ट्रायल शुरू हो गया है और उन्हें पहली डोज दी जा चुकी है.
18 साल से कम उम्र के बच्चों को कोरोना की वैक्सीन दी जा सकती है या नहीं इसके लिए भारत बायोटेक की कोविड-19 की वैक्सीन कोवैक्सीन का 2 से 18 साल के बच्चों पर ट्रायल चल रहा है. सोमवार 28 जून से 2 से 6 साल बच्चों का रिक्रूटमेंट शुरू किया जाएगा. रिक्रूटमेंट के बाद बच्चों की स्क्रीनिंग की जाएगी और क्लीनिकल ट्रायल में फिट पाए जाने पर ट्रायल में शामिल किया जाएगा.
दिल्ली एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ संजय राय कहते हैं, “12 से 18 साल और 6 से 12 साल इनका रिक्रूटमेंट हो चुका है इन्हें पहली डोज दी जा चुकी है. सैंपल साइज अचीव हो चुकी है. जो 2 से 6 साल का उनकी स्क्रीनिंग करेंगे सोमवार से और स्क्रीनिंग का रिपोर्ट आने के बाद जो भी स्वास्थ्य वालंटियर होंगे उनको स्क्रीनिंग रिपोर्ट के बाद वैक्सीनेट किया जाएगा.”
बच्चों के ट्रायल भी वैसा ही होगा जैसे बड़ों का हुआ
- पहली डोज और दूसरी डोज के बीच 28 दिनों का अंतर होगा.
- बच्चों को भी 6mg की डोज दी जाएगी.
- ट्रायल से पहले इनका भी एंटीबॉडी टेस्ट किया जाएगा.
- ट्रायल में वैक्सीन लगने के बाद इन्हें भी लगातार मॉनिटर किया जाएगा.
- टीके को इंट्रामस्क्युलर मार्ग द्वारा दो डोज दी जाएगी.
एम्स में चल रहे ट्रायल में 2 से 18 साल तक के करीब 50 बच्चों पर भारत बायोटेक की वैक्सीन का ट्रायल होना है. बच्चों के क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे आने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. टेस्ट लंबा चलेगा लेकिन तीन महीने में इसके अंतरिम नतीजे आ सकते है और उसके आधार वैक्सीन पर ड्रग कंट्रोलर को फैसला कर सकते है.
डॉ संजय राय के मुताबिक, “उसी तरह है जैसे बड़ों को डोज दी जाती है. पहली डोज के चार हफ्ते बाद दूसरी डोज. पहली और दूसरी डोज देने के बाद मॉनिटर किया जाएगा क्योंकि सेफ्टी देखना है, इम्मुनोजेन्सिटी देखना है. इसके डेटा को रेगुलेटर अथॉरिटी को दिया जाएगा. वैक्सीन वही है जो एडल्ट में अभी दे रहे हैं, सेफ्टी और एफिकेसी एडल्ट में निर्धारित हो चुकी है, बच्चों में नहीं हुई है. अंतरिम नतीजे तो कभी भी 3 महीने के बाद किया जा सकता है लेकिन ट्रायल अभी लंबा चलेगा. तो अगर जरूरत पड़ती है और रेगुलेटरी अथॉरिटी इसके अंतरिम नतीजे पर वैक्सीन को रिलीज कर सकते है. कम से कम तीन महीने तो लगेंगे. उसके बाद जो नतीजे है उसे अगर ड्रग कंट्रोलर संतुष्ठ होगा तो आ सकती है.”
एम्स दिल्ली की तरह पटना एम्स में ये क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है. सोमवार को पटना एम्स में 2 से 6 साल आयु वर्ग के बच्चों का स्क्रीनिंग और रिक्रूटमेंट होगा. इसी साल मई में देश के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन कोवेक्सीन के बच्चों में दूसरे और तीसरे के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दी थी.
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