नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च (ICMR) के अध्यक्ष आर गंगाखेडकर ने कहा कि चमगादड़ से इंसानों में कोरोना वायरस आने की घटना बहुत दुर्लभ (रेयर) है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में समझाते हुए कहा कि चमगादड़ों से इंसानों में आने की घटना एक हजार साल में एक बार होती होगी. जब कोई वायरस स्पेसीज (जाति) बदलता है तो बहुत दुर्लभ घटना होती है और तब ये इंसानों में फैलता है.


आर गंगाखेडकर ने कहा, ‘’ये जो कोरोना वायरस होता है, ये चमगादड़ों के अंदर भी पाया जाता है. चीन में अभी जो रिसर्च हुआ उसमें पता चला है कि जो वायरस हमलोगों (इंसानों) में आया है, या तो चमगादड़ों के वायरस में ऐसे म्यूटेशन (परिवर्तिन) का विकास हुआ जिससे वो इंसान के अंदर जाने की भी क्षमता रखता होगा और बीमारी करता होगा. इस किस्म का विषाणु बन गया और इंसानों में आया. दूसरा एक कहा जाता है कि चमगादड़ों से पैंगुलीन (एक तरह का स्तनपायी) में आया होगा और वहां से इंसानों में आया होगा.’’





इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘’दो किस्म के चमगादड़ होते हैं, उनमें कोरोना वायरस दिखाई दिया लेकिन वो चमगादड़ों का कोरोना वायरस था, वो इंसानों में आने की काबिलियत का नहीं था. चमगादड़ से इंसानों में आने की घटना एक सादे तौर पर समझाने के लिए बोलता हूं कि हजार साल में एकाध बार होती होगी. जब कोई वायरस जाति बदलता है तो बहुत दुर्लभ घटना होती है और उस किस्म से इंसानों में आता है.’’


आर गंगाखेडकर ने कहा कि चमगादड़ों को लेकर एक सर्विलांस शुरू किया था जिसमें ये बात निकलर सामने आई. यानी कुल मिलाकर ये बात सामने आई कि वायरस के चमगादड़ों से इंसानों में आने की घटना बहुत ही दुर्लभ है. जब कोई वायरस अपनी जाति बदलती है तब वह इंसानों में आती है.


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