नई दिल्ली: लॉकडाउन ने उद्योग धंधों पर काफ़ी बुरा असर डाला है. काम बंद करने का आदेश, मज़दूरों की कमी और तरलता यानि लिक्विडिटी की समस्या उद्योग जगत के लिए बड़ी बाधा बन गई है. ऐसे में अब उद्योग जगत ने सरकार के सामने अपनी मांगों को एक लंबी फेहरिस्त सौंपी है. हालांकि अगर सरकार इन मांगों में से अगर कुछ पर भी अमल करती है तो मज़दूरों को बड़ा झटका लग सकता है.


12 घंटे का हो वर्किंग आवर


बैठक में नियोक्ता समूहों के ज़्यादातर प्रतिनिधियों ने कामकाज का समय बढ़ाने की मांग की. उनका कहना था कि काम करने की समयसीमा रोज़ाना 12 घंटे किया जाना चाहिए ताकि लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई की जा सके. ये भी सलाह दी गई कि नियोक्ता और कर्मचारी, दोनों ही तरफ़ से सामाजिक सुरक्षा से जुड़े ख़र्चे में कटौती की जाए.


औद्योगिक विवाद क़ानून में दी जाए ढील


उद्योग जगत ने सरकार से औद्योगिक विवाद क़ानून यानि Industrial Disputes Act में ढील दिए जाने की भी मांग की है. उनका सुझाव है कि क़ानून में ढील बरतते हुए लॉक डाउन की अवधि को कामबंदी ( Lay Off ) के तौर पर माना जाए . ऐसा करने से मज़दूरों और कर्मचारियों के प्रति उद्योग जगत की देनदारियों पर फ़र्क़ पड़ेगा.


श्रम कानून स्थगित किए जाएं


बैठक में श्रम क़ानूनों को लेकर एक प्रमुख मांग रखी गई . श्रम क़ानूनों को अगले 2 - 3 सालों तक स्थगित रखने की मांग की गई है. हालांकि न्यूनतम वेतन, बोनस और अन्य क़ानूनी देनदारियों के सम्बंध में इन श्रम क़ानूनों को पहले जैसे ही लागू रखने का सुझाव दिया गया. दरअसल उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों ने पहले ही श्रम क़ानूनों में ढ़ील देने की घोषणा कर दी है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने तो इसके लिए एक अध्यादेश को भी मंज़ूरी दे दी है.


उद्योग जगत के लिए पैकेज का हो ऐलान


बैठक में उद्योग जगत को इस संकट से निकलने के लिए एक पैकेज के ऐलान की मांग की गई. सभी संगठनों ने मांग की कि कर्मचारियों को दिया जाने वाला वेतन भी कम्पनियों के सीएसआर यानि कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत लाया जाना चाहिए. इसका फ़ायदा कम्पनियों को टैक्स पर छूट के रूप में मिल सकता है. इसके अलावा सस्ते दर पर बिजली मुहैया कराने की भी मांग रखी गई. बैठक में देश में रे , ओरेन्ज और ग्रीन ज़ोन बनाने की जगह कंटेन्मेंट और नॉन कंटेन्मेंट ज़ोन बनाने की सलाह दी गई. उद्योग जगत का कहना था कि नॉन कंटेन्मेंट इलाकों में सभी आर्थिक गतिविधियां शुरू की जानी चाहिए.


12 संगठन बैठक में हुए शामिल


बैठक में उद्योग जगत की सबसे बड़ी संस्था फिक्की के साथ साथ सीआईआई , एसोचैम , पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स और लघु उद्योग भारती समेत 12 संगठनों ने भाग लिया. श्रम मंत्री सन्तोष गंगवार ने कहा कि वो उद्योग जगत और नियोक्ता समूहों की बात पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे ताकि इस संकट से निकल कर आर्थिक विकास की गति बढ़ाई जा सके.


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