Covid-19: कर्नाटक के बैंगलोर में 75 फीसदी से ज्यादा लोगों में कोविड-19 की एंटीबॉडी पाई गई हैं. जिसका मतलब है कि यहां इस 75 फीसदी से ज्यादा की आबादी में से ज्यादातर को कोविड-19 हो चुका है. यहां नगर पालिका के एक सीरो सर्वे के शुरुआती रिजल्ट में ये डेटा सामने आए हैं. नगर पालिका ने अगस्त की शुरुआत में ये सर्वे किया था. इस सर्वे में वैक्सीन लगवा चुके 1,000 लोगों के साथ साथ ऐसे अन्य 1,000 लोगों को भी शामिल किया गया था जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है. 


जानकारी के अनुसार सैम्पल ग्रुप में शामिल 1,800 लोगों में से 1,400 लोगों में कोविड-19 की एंटीबॉडी पाई गई हैं. बाकी बचे 200 लोगों के सैम्पल की स्टडी अभी जारी है. Bruhat Bengaluru Mahanagara Palike (BBMP) के स्पेशल कमिश्नर (स्वास्थ्य) डी रणदीप के अनुसार, इस सीरो सर्वे का उद्देश्य लोगों में एंटीबॉडी बनाने में वैक्सीन कितनी असरकारक है और वैक्सीन ना लगवाने वाले कितने लोगों को कोरोना हो चुका है ये जानना था.  


दूसरी लहर के दौरान बैंगलोर की एक बड़ी आबादी हुईं थी कोरोना पॉजिटिव 


इस सीरो सर्वे की शुरुआती रिपोर्ट से पता चलता है कि, वैक्सिनेशन से लोगों में सही तरह से एंटीबॉडी तैयार हो रहीं हैं. छोटा सैम्पल साइज होने के बावजूद ज्यादातर लोगों में एंटीबॉडी का होना दर्शाता है कि बैंगलोर की एक बड़ी आबादी दूसरी लहर के दौरान कोरोना पॉजिटिव ही थी. BBMP के चीफ कमिश्नर गौरव गुप्ता ने बताया है कि, इस सीरो सर्वे की फाइनल रिपोर्ट जल्द ही पब्लिक कर दी जाएगी.   


इस सीरो सर्वे में शामिल लोगों में से 30 फीसदी 18 साल से कम उम्र के, 50 फीसदी 18 से 44 साल और 20 फीसदी 45 साल से आधी की उम्र के थें. साथ ही इसमें बैंगलोर के अलग अलग जगहों में रहने वाले सामाजिक और आर्थिक तौर पर भिन्न लोगों को शामिल किया गया था. 


सीरो सर्वे के डेटा से अधिक होगी बैंगलोर की हर्ड इम्यूनिटी 


जाने माने विषाणु विज्ञानी डॉक्टर टी जैकब जॉन के अनुसार, इस सीरो सर्वे से जो भी डेटा सामने आता है हर्ड इम्यूनिटी का डेटा उस से कहीं अधिक होगा. डॉक्टर जैकब ने बताया, "सैम्पल से एंटीबॉडी को डिटेक्ट करने में लैब डेटा एक हद तक ही कारगर होते हैं. डेटा के अनुसार 65 से 80 प्रतिशत पॉजिटिव केस में ही एंटीबॉडी डिटेक्ट होती हैं. अगर बैंगलोर की सीरो प्रेवलेन्स (seroprevalence) 75 फ़ीसदी आती है तो यहां की हर्ड इम्यूनिटी 85 प्रतिशत के करीब हो सकती है."


साथ ही डॉक्टर जैकब ने बताया, "ये इम्यूनिटी लेवल बताते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर किन संभावना कम है. हालांकि अगर इस बीच कोरोना का कोई नया वेरिएंट उभर के आता है जो कि इसके डेल्टा वेरिएंट से अधिक संक्रामक होता है तो तीसरी लहर के आने की आशंका बढ़ सकती है." 


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