कोविड 19: CSIR ने बनाई नई टेस्टिंग किट, 45 से 60 मिनट में आ जाएगा रिजल्ट
जल्द ही भारत में एक ऐसी किट आनेवाली है जिसे सिर्फ 45-60 मिनट में पता चल जाएगा की कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या नहीं. वहीं इसकी कीमत भी काफी कम होगी. खास बात ये की ये पूरी तरह से स्वदेशी है और भारत के वैज्ञानिकों ने इसे बनाया है.
मुंबई: भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं इसकी रोकथाम के लिए जरूरी है ज्यादा से ज्यादा और जल्द से जल्द टेस्ट किए जाएं. लेकिन इस समय कोरोना के टेस्ट के लिए आरटी पीसीआर टेस्ट करना होता है जिसके नतीजे आने में वक़्त लगता है. लेकिन जल्द बाज़ार में भारत की प्रतिष्ठित संस्था सीएसआईआर के ऐसा टेस्टिंग किट लाने जा रहा है जिससे सिर्फ 45 से 60 मिनट में कोई व्यक्ति संक्रमित है या नहीं पता चल जाएगा.
सीएसआईआर की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटिग्रेटिव मेडिसिन जम्मू ने कोविड 19 टेस्ट के लिए नई टेस्ट किट बनाई है. COVID-19 RT-LAMP यानी लूप मीडिएटेड आइसोथर्मल एमप्लीफिकेशन किट से सिर्फ 40-60 मिनट में पता चल जाएगा की को19 पॉजिटिव है या नहीं.
सीएसआईआर डायरेक्टर जनरल, डॉ शेखर मांडे ने बताया कि इसे RT-LAMP कहते हैं यानी रिवर्स ट्रांस्क्रिप्ट लूप मीडिएटेड आइसोथर्मल एमप्लीफिकेशन. इसे बनाने की कोशिश लोग पहले भी कर चुके हैं, अमेरिका की abbott नाम की कंपनी ने भी कमर्शियलाइज किया हुआ है. हमारी जम्मू की लैब इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिसिन ने ये टेस्ट किट बनाई है और यह रिलायंस इंडस्ट्री के साथ मिलकर तैयार की गई है. इससे काफी तेजी से टेस्ट हो जाता है इसके लिए रियल टाइम पीसीआर की जो मशीन चाहिए होती है, वो महंगी होती है उसकी जरूरत नहीं है और कांस्टेंट टेंपरेचर पर पीसीआर कर ताकि अलग-अलग टेंपरेचर पर करने की जरूरत नहीं होती.
इस टेस्ट किट खास बात यह है कि इसमें कोई महंगी मशीन की जरूरत नहीं है. यह मशीन बहुत ही कम समय में और और कम संसाधनों में नतीजे बता देती है.
- किसी व्यक्ति के गले और नाक से स्वाब लिया जाएगा. - इसके बाद वीटीएम यानी वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम में गले और नाक से लिए गए स्वाइप को रखा जाएगा. - इसकी कोडिंग की जाएगी और आरएनए निकाला जाएगा. - इसके बाद खास तरह से बने इस ट्यूब में लूप मीडिएटेड आइसोथर्मल एमप्लीफिकेशन किट साइबर ग्रीन डाई के साथ 60 डिग्री टेंपरेचर पर इनक्यूबेट किया जाएगा. - कुछ देर रखने के बाद इसे अल्ट्रावॉयलेट टॉर्च यानी युवी टॉर्च के नीचे देखा जाएगा. - अगर ट्यूब का रंग चटक हरा रंग आता है तो सैंपल पॉजिटिव है वही हल्के हरे रंग या ट्रांस्प्रेंट का मतलब सैंपल नेगेटिव है. - इस पूरी प्रक्रिया में मात्र 45 से 60 मिनट लगेंगे. - वही नतीजा भी तुरंत देखकर बता जा सकता है.
सीएसआईआर की इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इंटीग्रेटेड मेडिसिन जम्मू लैब और रिलायंस इंडस्ट्री ने इसे तैयार कर लिया है. और इसका जल्द ही परीक्षण किया जाएगा जिसके बाद इसे रेगुलेटर या नहीं आईसीएमआर के पास स्वीकृति के लिए ले जाया जाएगा.
डॉ शेखर मांडे ने कहा कि हमने यह रिलायंस इंडस्ट्री को दिया है और हम और वह एक साथ काम कर रहे हैं. हमारी कोशिश है हम जितनी जल्दी से रेगुलेटर के पास ले जा सकें. रेगुलेटर के पास ले जाने के लिए पूरी किट दिखानी होगा कि ये कैसे काम करती है. बताना होगा कैसे हमने टेस्ट किया, क्या टेस्ट किया, वह सही है नहीं है. तो रेगुलेटर के पास जाएंगे और जैसे ही अनुमति मिलेगी हम इसे फील्ड में लाएंगे.
इससे पहले भी सीएसआईआर ने पेपर टेस्ट किट फेलूदा तैयार की थी. ये तकनीक कॉल क्रिस्पर कैश पर आधारित थी. उसमें में नहीं कम समय में टेस्ट के नतीजे पता चल सकते हैं. दोनों डिवाइस में तकनीक अलग-अलग है लेकिन दोनों ही कम समय में नतीजे बता सकती हैं, दोनों किफायती भी हैं.
सीएसआईआर को उम्मीद है कि जल्दी जम्मू के लैब में इसका परीक्षण पूरा हो जाएगा और अगले 15 दिनों में इसे रेगुलेटर यानी आईसीएमआर के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 1 महीने का वक्त लग जाएगा और स्वीकृति मिलते ही एक महीने बाद ही बाजार में उपलब्ध होगी.
यह किट ना सिर्फ कम समय में टेस्ट के नतीजे बताएगी बल्कि यह काफी किफायती भी होगी. सीएसआईआर को उम्मीद है कि यह टेस्ट डिवाइस 100 से ₹200 में उपलब्ध हो सकेगी.
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