राजधानी दिल्ली में कोरोना के चलते स्थिति काफी डरावनी हो चुकी है. कोरोना महामारी से मची तबाही का असल मंजर यहां के श्मशान घाटों पर लगातार देखने को मिल रहा है. स्थिति कितनी भयावह है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि लोगों को अपने प्रियजनों के शवों का दाह संस्कार करने के लिए 20-20 घंटे तक का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
यहां के एक श्मशान स्थल पर मंगलवार को 50 चिताएं जलीं. वहां कई शव पड़े हुए थे और कई अन्य वहां खड़े वाहनों में रखे हुए थे. कोरोना संक्रमण के कारण जान गंवाने लोगों के परिजन अंत्येष्ठि के लिए अपनी बारी के लिए प्रतीक्षारत थे. ये दिल दहला देने वाला दुखद दृश्य नयी दिल्ली के श्मशान स्थलों के हैं.
कोरोना मरीजों के शव लेकर भटक रहे लोग
‘मैसी फ्यूनरल’ की मालकिन विनीता मैसी ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ से बातचीत में कहा, ‘‘मैं अपने जीवन में कभी ऐसे खराब हालात नहीं देखे. लोग अपने प्रियजनों का शव लेकर भटक रहे हैं. दिल्ली के लगभग सभी श्मशान स्थल शवों से भर चुके हैं.’’ आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस महीने में 3,601 लोगों की मौत हुई है. इनमें से 2,267 लोगों की मौत पिछले एक हफ्ते में हुई है. पूरे फरवरी में, मृत्यु का आंकड़ा 57 और मार्च 117 लोगों की मौत इस महामारी के कारण हुई.
अपने प्रियजन या रिश्तेदारों के अचानक से गुजर जाने के गम में डूबे लोगों को यह दुख भी सता रहा है कि वे अपनों को आखिरी विदाई भी नहीं दे पा रहे हैं. लोग अपने निजी वाहनों या फिर एंबुलेंस से शवों को लेकर श्मशान पहुंच रहे हैं और फिर उन्हें एक के बाद दूसरे और फिर कई अन्य श्मशानों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. उन्हें अपने पिता, माता, बेटे या बेटी का दाह संस्कार के लिए बहुत ही संघर्ष करना पड़ रहा है.
दाह-संस्कार तक शव को रेफ्रिजरेटर में रख रहे लोग
दिल्ली के अशोक नगर इलाके में रहने वाले अमन अरोड़ा के पिता एम एल अरोड़ा की सोमवार दोपहर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. अमन कहते हैं, ‘‘ पिता की तबियत खराब होने के बाद हम उन्हें लेकर कई निजी अस्पतालों में गए, लेकिन स्वास्थकर्मियों ने उन्हें छुआ तक नहीं. वे कोरोना की जांच नेगेटिव होने का प्रमाणपत्र मांगते रहे. इस तरह से उनकी मौत हो गई.’’
उनका कहना है कि पश्चिमी दिल्ली के सुभाष नगर श्मशान घाट के कर्मचारियो ने सोमवार दोपहर को उन्हें बताया कि उनके पिता का अंतिम संस्कार मंगलवार सुबह ही हो पाएगा. स्थिति को देखते हुए अमन ने अपने पिता के शव की संरक्षित रखने के लिए रेफ्रिरेटर का प्रबंध किया.
श्मशान स्थलों पर काम करने वाले कई कर्मचारी भी लोगों के साथ सख्त अंदाज में पेश आ रहे हैं. एक युवा कर्मचारी यह कहते सुना गया, ‘‘अपनी डेड बॉडी उठाओ और ऊधर लाइन में खड़े हो जाओ.’’ सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर कहते हैं, ‘‘यह समय लोगों के प्रति हमदर्दी और एकजुटता दिखाने का है. इस महामारी ने हमें सिखाया है कि हम सब साथ हैं.’’
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