नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 ने समाज और अर्थव्यवस्था की कमियों को 'सबके सामाने ला खड़ा किया है'. खास तौर से असंगठित क्षेत्रों में, जहां से लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों को जाते हुए देखा गया. पेशे से अर्थशास्त्री यूनुस को बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक की स्थापना करने और लघु ऋण तथा लघु वित्त पोषण के सिद्धांत को लागू करने के लिए 2006 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था.


तीसरे लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन सम्मेलन को संबोधित करते हुए युनुस ने कहा कि खास तौर से भारत में हमने देखा है कि लॉकडाउन के दौरान अपनी आजीविका खोने के बाद कैसे प्रवासी मजदूर पैदल अपने घर गए हैं.


उन्होंने कहा, ‘‘कोविड ने बड़े पैमाने पर हमारे समाज और अर्थव्यवस्था की कमियों को उजागर किया है. जैसे बड़े पैमाने पर दिहाड़ी मजदूरों के रूप में काम कर रहे असंगठित क्षेत्र के लोगों का पलायन. उनके पास जल्दी ही पैसे खत्म हो गए, उनके पास भोजन नहीं था, किराया को पैसे नहीं थे, खास तौर से भारत में, इसलिए वे मीलों पैदल चलकर अपने घर गए क्योंकि उनके पास आजीविका नहीं थी.’’


देश में कोरोना से 34 लाख लोग हुए ठीक
भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरने वाले मरीजों की संख्या 34 लाख तक पहुंच गई है. कुल 43 लाख संक्रमितों में से ठीक होने वाले मरीजों की दर और सुधरकर 77.77 फीसदी पहुंच गई है. वहीं मृत्यु दर गिरकर 1.69 प्रतिशत हो गई है. देशभर में संक्रमण का इलाज करा रहे कुल मरीजों में से 61 फीसदी पांच राज्यों से है.


स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, साप्ताहिक आधार पर ठीक होने वाले मरीजों की संख्या जुलाई के तीसरे हफ्ते में 1 लाख 53 हजार 118 थी जो सितंबर के पहले हफ्ते में बढ़कर 4 लाख 84 हजार 68 पहुंच गई.


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