Risk of Death On Heart Disease in COVID-19: चीन, जापान और अमेरिका सहित दुनिया के तमाम देशों में एक बार फिर से कोरोना कोहराम मचा रहा है. इस बीच कोरोना पर एक नई रिसर्च ने डराने वाली रिपोर्ट पेश की है. वैज्ञानिकों ने गुरुवार (19 जनवरी) को चेतावनी दी कि कोरोना रोगियों को संक्रमित होने के बाद कम से कम 18 महीने तक मृत्यु का खतरा होता है.


वैज्ञानिकों ने कहा, "महामारी के दौरान ऐसे कई मामले देखे गए जिनमें कोरोना को हराने के कुछ दिन बाद लोगों की मौत हो गई." यह रिपोर्ट उन लोगों की चिंता बढ़ा रही है, जिन्हें संक्रमित हुए अभी 18 महीने नहीं हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक,  कोरोना संक्रमित मरीजों में 18 महीने तक हार्ट से संबंधित बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है. 


कोरोना रोगियों में हृदय रोग का खतरा


यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (ESC) की एक पत्रिका में छपी कार्डियोवास्कुलर रिसर्च के मुताबिक, कोरोना संक्रमित रोगियों में हृदय से संबंधित बीमारियां होने के ज्यादा लक्षण मिले, जिससे उनकी मौत तक हो सकती है. यह रिपोर्ट 160,000 लोगों पर रिसर्च करके बनाई गई. वहीं चीन की हांग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इयान सीके वोंग ने कहा, "निष्कर्ष बताते हैं कि गंभीर बीमारी से उबरने के बाद कम से कम एक साल तक कोविड-19 वाले रोगियों की निगरानी की जानी चाहिए."


तीन हफ्ते तक खतरा 81 गुना ज्यादा


रिपोर्ट के मुताबिक, असंक्रमित व्यक्तियों की तुलना में संक्रमित व्यक्ति के पहले तीन हफ्तों में हृदय रोग से मरने की संभावना 81 गुना अधिक थी और 18 महीने बाद तक यह पांच गुना ज्यादा रही. रिपोर्ट में कहा गया, "दो असंक्रमित समूहों की तुलना में कोरोना रोगियों में गंभीर हृदय रोग विकसित होने की संभावना लगभग चार गुना अधिक थी और हार्ट अटैक की संभावना 40% अधिक होने की संभावना है." रिसर्च के अनुसार, कोविड-19 वाले मरीजों में गंभीर हृदय रोग विकसित होने या गैर-गंभीर मामलों की तुलना में मरने की संभावना अधिक है.


कोरोना की पहली लहर के वक्त हुई रिसर्च


रिसर्च के मुताबिक, कोविड-19 रोगियों में मायोकार्डियल इन्फेक्शन, कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट फेलियर सहित छोटी और लंबी अवधि दोनों में असंक्रमित प्रतिभागियों की तुलना में हृदय संबंधी विकारों की अधिक संभावना है. कोरोना के कारण ही हाल ही में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. प्रोफेसर इयान सीके वोंग ने कहा, "यह अध्ययन महामारी की पहली लहर के दौरान किया गया था."


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