नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आज संडे संवाद में सोशल मीडिया के जरिए आए कई सवालों के जवाब दिए. इसमें त्यौहार, वायरस म्युटेशन, वायरस के फैलाव, नकली ऑक्सीमीटर और ऑक्सीजन सप्लाई पर जवाब दिए और अपनी बात रखी. डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि आनेवाले दिनों में त्यौहार हैं ऐसे में ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि इस दौरान लोगों से मिलने से कोरोना का खतरा और बढ़ सकता है, मामले तेज़ी से बढ़ सकते है. इसको लेकर सरकार पहले ही चिंता जाहिर कर चुकी है.


'केरल में कोरोना कंट्रोल में आ चुका था'


स्वास्थ्य मंत्री ने केरल का उदाहरण देते हुए कहा की एक वक़्त केरल में कोरोना कंट्रोल में आ चुका था लेकिन हाल में ओणम के त्यौहार के बाद वहां स्तिथि खराब हो गई. डॉ हर्षवर्धन ने कहा, "30 जनवरी से 3 मई के बीच केरल से कोविड-19 के सिर्फ 499 मामलों का पता चला था और 2 मौतें हुई थीं. लेकिन केरल ने हाल ही में ओणम त्यौहार के दौरान हुई लापरवाही की जिसकी वो कीमत भुगत रहा है. जब राज्य में अनलॉक अवधि के दौरान गतिविधियों जैसे कि व्यापार और पर्यटन के लिए अंतर्राज्यीय यात्रा को शुरू किया जा रहा था, तब राज्य के अलग अलग जिलों में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी हुई."


केरल में कोविड-19 के को लेकर तस्वीर पूरी तरह बदल गई और नए मामले लगातार बढ़ रहे है. स्वास्थ्य मंत्री ने साफ कहा की केरल से उन सभी राज्यों को सबक लेना चाहिए, जो त्योहारों के मौसम में दिशा-निर्देश जारी करने में लापरवाह रहते हैं. वहीं कोरोना वायरस के मूटेशन के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने साफ कहा कि अभी भारत में कोरोना वायरस में किसी परिवर्तन यानी मूटेशन का पता नहीं चला है, जो कि ज्यादा ट्रांसमिशन इफिसेंट या घातक हो.


इसके अलावा चीन के इस दावे कि पिछले वर्ष कई देशों में एक साथ नोवेल कोरोना वायरस का फैलाव हुआ था लेकिन हर्ष वर्धन ने कहा, “इस बात का कोई प्रमाण नहीं है जिससे इस दावे की वैधता साबित हो सके कि नोवेल कोरोना वायरस का फैलाव विश्व के कई देशों में हुआ था.” उन्होंने कहा कि हालांकि चीन के वुहान को विश्व में कोरोना के पहले मामले की रिपोर्ट करने के लिए अब भी माना जाता है.


भारत के बाजारों में चीन द्वारा निर्मित ऑक्सीमीटर की भरमार होने के एक प्रश्न के उत्तर में हर्ष वर्धन ने बताया, “उपभोक्ताओं को बाजार से या ऑनलाइन विक्रेताओं से पल्स ऑक्सीमीटर खरीदते समय एफडीए/सीई स्वीकृत उत्पादों और उनके साथ आईएसओ/आईईसी विनिर्दिष्टताओं को देखना चाहिए.”  हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑक्सीजन स्तर में कमी कोविड-19 का लक्षण नहीं है, क्योंकि ऐसा कुछ अन्य चिकित्सीय स्थितियों के कारण भी हो सकता है.


क्या अखबार पढ़ने से भी कोरोना फैलता है?


इस पर उन्होंने कहा कि कोई ऐसा वैज्ञानिक प्रमाण नहीं, जो साबित कर सके कि समाचार पत्रों से कोरोना वायरस का प्रसार होता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि समाचार पत्र पढ़ना कोविड-19 महामारी के दौरान भी पूरी तरह सुरक्षित है.


देश भर में कोविड-19 से हो रही मौतों की संख्या में विसंगतियों से संबंधित एक सवाल का देते हुए मे डॉ हर्षवर्धन ने कहा की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ कोविड-19 से हुई मौतों के सही स्पष्टीकरण का मुद्दा कई बार उठाया है. इसके अलावा सही तौर-तरीके से मौतों की सूचना देने की प्रक्रिया भी साझा की है, ताकि देश भर में कोविड-19 से संबंधित मौतों की सूचना एक समान मिलती रहे.


'देश में मेडिकल ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं'


स्वास्थ्य मंत्री ने भरोसा दिलाया कि देश में मेडिकल ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. भारत में वर्तमान में लगभग 6400 मीट्रिक टन प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है. सरकार महामारी के कारण इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए तैयार है. गृह मंत्रालय द्वारा गठित अधिकार प्राप्त समूह देश भर में मेडिकल ऑक्सीजन की आवश्यकता पर भी नजर रखे हुए है.


स्वास्थ्य मंत्रालय भी राज्यों के ऑक्सीजन के संबंधित नोडल अधिकारियों तथा प्रधान सचिवों या मिशन निदेशकों के साथ नियमित वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से क्षेत्रीय स्तर पर मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता और आपूर्ति पर नजर रखे हुए है. राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को 1,02,400 मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर दे दिए गए हैं. राष्ट्रीय फॉर्मास्यूटिकल मूल्य प्राधिकरण ने तरल मेडिकल ऑक्सीजन की कीमत तय कर दी है; कोविड-19 के प्रबंधन के लिए ऑक्सीजन के तर्कसंगत उपयोग को लेकर दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं.


बता दें भारत में अब तक 74 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके है. अब तक कुल 74,94,551 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए जिसमें से 1,14,031 मरीजों की जान गई है. राहत की बात है की भारत में अब तक 65,97,209 ठीक हो चुके है. इसके साथ ही भारत में रिकवरी रेट यानी ठीक होने की दर 88.03% है जबकि मृत्यु दर 1.52% है.


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