नई दिल्ली: सरकार ने मलेरिया के इलाज में काम आने वाली दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के निर्यात पर लगी रोक को बृहस्पतिवार को तत्काल प्रभाव से हटा दिया. सरकार ने 25 मार्च को कोविड-19 महामारी के प्रकोप के मद्देनजर इस दवा के निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. यह दवा कोरोना वायरस महामारी के संक्रमित मरीजों का इलाज करने में भी कारगर मानी जा रही हे.


विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीएफएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, "हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन एपीआई (सक्रिय दवा सामग्री) और इसके फार्मूलेशंस की निर्यात नीति को तुरंत प्रभाव से निषेध से बदलकर मुक्त किया जाता है."


आईसीएमआर ने की थी हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की सिफारिश


भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के इलाज के लिये हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की भी सिफारिश की थी. इसके अलावा संक्रमित लोगों के संपर्क में आये लोगों के लिये भी इस दवा के इस्तेमाल की सिफारिश की थी.


अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन को "पासा पलटने वाला" बताया था.


हालांकि, इस दवा के निर्यात पर रोक लगाई गई थी, लेकिन भारत ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये अपनी वैश्विक प्रतिबद्धता के साथ कई देशों को इस दवा की आपूर्ति की थी. भारत ने घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए पिछले दो महीनों में 120 से अधिक देशों को पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की आपूर्ति की.


भारत वैश्विक स्तर पर इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है


पैरासिटामोल एक दर्द निवारक दवा है, जबकि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन एक पुरानी और सस्ती दवा है, जिसका उपयोग मलेरिया के इलाज में किया जाता है. भारत वैश्विक स्तर पर इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है. भारत अकेले हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की पूरी दुनिया की आपूर्ति का 70 फीसदी उत्पादन करता है.


भारत ने अप्रैल 2019 से जनवरी 2020 के दौरान 1.22 अरब डॉलर मूल्य के हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन एपीआई का निर्यात किया. इसी अवधि के दौरान हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन से बनी अन्य फार्मुलेशंस का निर्यात 5.50 अरब डॉलर का रहा.


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