COVID 19 Cases: मुंबई में लॉकडाउन के डर से मजदूरों का पलायन शुरू, रेलवे स्टेशन पहुंचे लोगों ने सुनाया अपना दर्द
Mumbai Lockdown Threat: मुंबई से प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हो चुका है. पिछले लॉकडाउन को याद करते हुए लोग पहले ही अपने घरों की ओर निकलने लगे हैं.
Mumbai Lockdown Threat: कोरोना वायरस के मामले बढ़ते ही लॉकडाउन का खतरा भी लोगों को डराने लगता है. मुंबई में भी कोरोना केस तेजी से बढ़ रहे हैं और हाल ही में मेयर ने लॉकडाउन को लेकर संकेत भी दे दिए थे. मुंबई की मेयर किशोर पेडणेकर ने लॉकडाउन का इशारा देते हुए कहा था को ऐसे ही मामले बढ़े तो लॉकडाउन पर विचार हो सकता है. लेकिन उनके इस बयान के बाद अब प्रवासी मजदूरों का पलायन शुरू हो चुका है. पिछले लॉकडाउन को याद करते हुए लोग पहले ही अपने घरों की ओर निकलने लगे हैं.
पलायन की खबरें सामने आने के बाद मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस (एलटीटी) स्टेशन के बाहर ABP न्यूज़ को कई ऐसे लोग दिखाई दिए जो लॉकडाउन के डर से मुंबई छोड़कर जा रहे हैं, हमने ऐसे ही लोगों के एक ग्रुप से बातचीत की.
इस ग्रुप में पहले शख़्स का नाम रतन मंडल है. मंडल ने बताया कि वो पेंटिंग का काम करते हैं और कोविड के मामले बढ़ने की वजह उनके मालिक ने कहा कि फ़िलहाल काम नहीं है और अपने राज्य वापस जाने को कह दिया. मंडल पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं और लॉकडाउन लग गया तो क्या होगा इस वजह से तत्काल में टिकट निकालकर अपने गांव वापस लौट रहे हैं.
दूसरे यात्री का नाम अशोक खालखा है, ये लॉकडाउन के डर से अपने दोस्त श्री राम पुजारी, सूरज लाल और एक वरिष्ठ नागरिक साईनाथ के साथ अपने राज्य जा रहे हैं. ये सभी लोग मछली की फ़ैक्ट्री में काम करते हैं.
पिछले लॉकडाउन का दर्द झेल चुके विकास ने सुनाई कहानी
वहीं हमें एक ऐसा यात्री भी मिला जिसका नाम विकास दुबे है, जो कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले के रहने वाले हैं. दुबे ने बताया कि वो कड़िया का काम करते हैं और 5 दिन पहले ही उनके दोस्त के कहने पर मुंबई आए थे. दुबे जब अपने घर से निकले थे तब उनके पास 2000 रुपए थे और इन पांच दिनो में उन्हें काम नहीं मिला, जबकि उनके पैसे भी खत्म हो गए. दुबे ने कहा कि, उन्हें डर लग रहा है कि अगर फिर से लॉकडाउन लग गया तो उन्हें यहां पूछने वाला भी कोई नहीं होगा. गांव जाएंगे तो सूखी रोटी तो मिल ही जाएगी. दुबे ने कहा कि, जब पहली बार लॉकडाउन लगा था उस समय वो मुंबई में अपनी पत्नी दो बच्चों, भाई मुकेश दुबे उसकी पत्नी और एक बच्चा सब साथ में रहते थे.
लॉकडाउन के दौरान अपने गांव पहुंचने की कहानी याद करते हुए विकास दुबे ने बताया कि, जब लॉकडाउन लगा तो ऐसा था कि कुछ समय की बात है, खत्म हो जाएगा. लेकिन जब लॉकडाउन बढ़ता चला गया तो हम सातों लोग LTT रेलवे स्टेशन आए ये सोचकर कि ट्रेन मिल जाएगी. तीन दिन तक ट्रेन नहीं मिली. जिसके बाद हम सब पांच दिन तक पैदल चले और भुसावल पहुंचे जहां हमें एक भला ट्रक वाला मिला, जिसने हमसे बिना कुछ पैसे लिए हमें 2 दिन में सतना पहुंचाया. जहां हमारे परिवार वाले आए और घर लेकर गए.
लॉकडाउन की फर्जी खबरें वायरल
लॉकडाउन के डर के चलते झूठी खबरें भी जमकर वायरल की जा रही हैं. जिन्हें सच मानकर लोग अपन घरों की ओर निकल रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक खबर वायरल हो रही थी, जिसमें बताया गया था कि बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं. इसके ठीक बाद LTT स्टेशन पर बीती रात बहुत भीड़ जमा हो गई जिसे नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया. इस विषय पर हमसे LTT रेलवे स्टेशन के RPF अधिकारी केके राणा ने बातचीत की और बताया कि ये खबर फ़र्ज़ी है और बीती रात किसी पुलिसवाले ने किसी भी यात्री पर लाठी चार्ज नहीं किया.
बीती रात बम की धमकी का कॉल आया था उस समय सारे पुलिसवाले स्टेशन पर लोगों की जांच कर रहे थे ऐसे में लाठीचार्ज का सवाल ही नहीं उठता. राणा ने बताया कि कोविड के इस दौर में बिना टिकट के लोगों को ट्रेन में यात्रा करने की इजाज़त नहीं है, ऐसे में जितने भी यात्री स्टेशन में आते हैं उनके टिकट की जांच होती है इसके बाद ही उन्हें अंदर छोड़ा जाता है .
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