नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच केंद्रीय कैबिनेट ने दो अहम फैसले लिए हैं. पहला ये कि सांसदों की सैलरी में तीस फीसदी की कटौती की जाएगी. ये कटौती एक साल के लिए होगी. कैबिनेट ने एक अध्यादेश को मंजूरी दी है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बात की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने भी स्वेच्छा से अपने वेतन में 30 फ़ीसदी कटौती करने की अनुशंसा की है.


दूसरा ये कि दो साल के लिए सांसदों को सांसद निधि का पैसा नहीं मिलेगा. दो साल में हर सांसद को दस करोड़ रुपये मिलते थे. यानी वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए एमपीलैड का पैसा नहीं मिलेगा.


प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि दो साल के लिए एलीलैड फंड की 7900 करोड़ रुपये की राशि भारत की संचित निधि में जाएगी. ये फैसला कोरोना वायरस के प्रभाव को देखते हुए स्वास्थ्य और प्रतिकूल प्रबंधन के लिए लिया गया है.


बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज केंद्रीय मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की. पीएमओ ने बताया कि इस दौरान पीएम मोदी ने मंत्रियों के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि उनकी तरफ से लगातार दी गई फीडबैक कोविड-19 से निपटने के लिए रणनीति बनाने में प्रभावी रही है.


पीएम ने कहा कि यह जरूरी है कि नेता राज्य और जिला प्रशासन के साथ, विशेष रूप से उन जिलों में, जो कोविड 19 के लिए हॉटस्पॉट हैं, जमीनी स्थिति से अवगत कराएं और समस्याओं का समाधान भी दें.


प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को कटाई के मौसम में हर संभव मदद मुहैया कराएगी. पीएम ने मंडियों से किसानों को जोड़ने के लिए ‘ट्रक एग्रीगेटर्स’ का उपयोग करने जैसे नवीन समाधानों की खोज करने के लिए तकनीक का उपयोग करने और प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया.


इसके साथ ही उन्होंने मंत्रियों से कह कि लॉकडाउन खत्म होने पर दस प्रमुख फैसले और दस प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की सूची तैयार करें. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद इमरजेंसी परिस्थितियों के लिए रणनीति होना आवश्यक है.