(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
COVID-19: NIV पुणे ने पहली स्वदेशी एंटीबॉडी जांच किट विकसित की, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने दी जानकारी
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि इस किट को एक महीने से भी कम समय में तैयार करने में सफलता मिली है. इस जांच किट की मदद से शरीर में सार्स-सीओवी-2 रोधी एंटीबॉडी की मौजूदगी का पता लगाने में सहायता मिलेगी.
नई दिल्ली: पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) ने कोविड-19 के लिए पहली स्वदेशी एंटीबॉडी जांच किट सफलतापूर्वक विकसित की है, जोकि कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने में अहम भूमिका अदा करेगी. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस जांच किट के जरिए ढाई घंटे में 90 नमूनों की जांच की जा सकती है. ऐसे में स्वास्थ्य पेशेवर बीमारी के मद्देनजर ज्यादा तेजी से अगले जरूरी कदम उठा सकेंगे.
स्वास्थ्य मंत्री ने लगातार किए गए ट्वीट में कहा कि पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने शरीर में कोविड-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने वाली पहली स्वदेशी जांच किट सफलतापूर्वक विकसित की है. उन्होंने कहा, ' यह परीक्षण सार्स सीओवी-2 संक्रमण के संपर्क में आने वाली आबादी के अनुपात की निगरानी में अहम भूमिका निभाएगा.' उन्होंने कहा कि मुंबई में दो स्थानों पर इस किट की अनुमति दी गई थी और इसके परिणाम काफी सटीक हैं.
National Institute of Virology, Pune has successfully developed the 1st indigenous anti-SARS-CoV-2 human IgG ELISA test kit for antibody detection of #COVID19 . This robust test will play a critical role in surveillance of proportion of population exposed to #SARSCoV2 infection pic.twitter.com/pEJdM6MOX6
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) May 10, 2020
हर्षवर्धन ने कहा कि इस किट को एक महीने से भी कम समय में तैयार करने में सफलता मिली है. इस जांच किट की मदद से शरीर में सार्स-सीओवी-2 रोधी एंटीबॉडी की मौजूदगी का पता लगाने में सहायता मिलेगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह किफायती और तुरंत नतीजे देने वाली है. साथ ही इसके जरिए अस्पताल और चिकित्सा केंद्रों में बड़ी संख्या में आसानी से नमूनों की जांच करना संभव है. उन्होंने बताया कि दवा कंपनी जायडस को इसकी तकनीक को ट्रांस्फर किया गया है और दवा नियामक ने कंपनी को बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन की अनुमति दी है. इस जांच तकनीक के जरिए ऐसे लोगों के खून में एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है, जिनमें पहले कोरोना वायरस संक्रमण हो चुका होगा.
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