नई दिल्लीः कोविड-19 महामारी का प्रभाव कई दशकों तक दिखाई देता रहेगा. बच्चों की एक पूरी पीढ़ी इससे बुरी तरह प्रभावित हो सकती है. Centre for Science and Environment की सालाना स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरनमेंट 2021 की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी के कारण 0 से 14 साल के 37.5 करोड़ भारतीय बच्चों पर लंबे समय तक बुरे असर का साया रहेगा. इन बच्चे को कुपोषण, अशिक्षा और कई अनदेखी दुश्वारियों का सामना करना पड़ सकता है. रिपोर्ट तैयार करने में विश्व बैंक, यूनिसेफ और ग्लोबल हेल्थ साइंस का सहारा लिया गया है.


और गरीब हो जाएगी दुनिया


सीएसई की निदेशक सुनीता नारायण ने कहा है कि कोविड-19 ने पहले से गरीब विश्व को और गरीब बना दिया है. उन्होंने कहा, कोविड-19 के प्रभाव के कारण दुनिया भर में 11.5 करोड़ अतिरिक्त लोग अत्यंत गरीबी में जीने के लिए विवश होंगे. इनमें से ज्यादातर दक्षिण एशिया के होंगे. रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर 2020 तक भारत में 2.5 करोड़ से ज्यादा बच्चों ने जन्म लिया। यानी एक पूरी पीढ़ी ने सदी की सबसे लंबी महामारी के दौरान जन्म लिया. जब ये बच्चे बड़े होंगे तो इनकी याददाश्त में महामारी एक निर्णायक मिसाल के तौर पर होगी. इस महामारी के कारण मौजूदा पीढ़ी के 35 करोड़ से ज्यादा बच्चे इसके अलग-अलग तरह के असर को अपनी जिंदगी तक ढोएंगे.

सतत विकास में बिहार, यूपी सबसे पिछड़े राज्यों में


यूनिसेफ के मुताबिक लॉकडाउन के कारण दुनिया भर के बच्चों को सरकारी स्कूल से मिलने वाला भोजन नहीं मिला. भारत में करीब 9.4 करोड़ बच्चे लॉकडाउन के कारण मिडडे मिल से वंचित रहे. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में करीब 50 करोड़ बच्चों को स्कूल से मजबूरन बाहर होना पड़ा. इनमें आधे बच्चे भारत के हैं. इतना ही नहीं 2030 तक बच्चों में ठिगनापन (बौनापन) को 2.5 प्रतिशत तक लाने का जो भारत का लक्ष्य था, वह भी कोविड 19 के कारण प्रभावित हुआ है. सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारत 192 देशों में 117 वें स्थान पर है. इस मामले में भारत पाकिस्तान को छोड़कर सभी दक्षिण एशियाई देशों से पीछे है. सालाना स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक सतत विकास लक्ष्य के मामले में केरल, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना को बेहतर प्रदर्शन वाला पांच राज्य घोषित किया गया है जबकि इसमें बिहार, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और उत्तर प्रदेश को सबसे खराब प्रदर्शन वाला राज्य बताया गया है.लॉकडाउन में साफ नहीं हुई गंगा


रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वायु प्रदूषण के कारण 2019 में 16.7 लाख लोगों की मौत हुईं। इसके कारण देश को 360 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ जो कुल जीडीपी का 1.36 प्रतिशत है. रिपोर्ट में इस बात को खारिज कर दिया गया कि लॉकडाउन के कारण भारत की नदियां साफ हुई है. रिपोर्ट की मुताबिक गंगा सहित 19 नदिया और ज्यादा गंदी हो गईं.



ये भी पढ़ें